बीती हुई बातों से
बिछुड़कर नहीं देखा ,
क्यूँ पास में थे पंख
फिर उड़कर नहीं देखा ।
वो प्यास से तड़पा बहुत ,शहरी गुरूर में ,
था गाँव में पनघट,
मगर मुड़कर नहीं देखा ।
कुछ भी कठिन नहीं था,रही इक भूल हमारी ,
बस एक ने भी एक से
जुड़कर नहीं देखा ।
बेपर्दगी ,
गुरबत का दर्द झेलना पड़ा ,
जब पाँव ने चादर में
सिकुड़कर नहीं देखा ।
ये नफरतों की आग बुझे
भी तो किस तरहा ,
आँखों के समंदर ने
निचुड़कर नहीं देखा ।
12-04-2013
जब पाँव ने चादर में सिकुड़कर नहीं देखा ।
ReplyDeletebahut sunder kya baat kahi hai
badhai
rachana
ज्योत्स्ना जी .... बहुत ही सुन्दर रचना है .... एक एक पंक्ति, एक एक शब्द जीवन की सच्चाई में डूबा हुआ है. कितना सीधा और सच्चा सा सवाल है .... क्यूँ पास में थे पंख फिर उड़कर नहीं देखा ....
ReplyDeleteबेपर्दगी , गुरबत का दर्द झेलना पड़ा ,जब पाँव ने चादर में सिकुड़कर नहीं देखा ... एकदम सच कहा, आजकल कहाँ लोग विश्वास करते हैं चादर के हिसाब से पाँव सिकोड़ने में
मंजु मिश्रा
www.manukavya.wordpress.com
वो प्यास से तड़पा बहुत ,शहरी गुरूर में ,
ReplyDeleteथा गाँव में पनघट, मगर मुड़कर नहीं देखा ।
Bahut karibi lagi aapki ye panktiyan dil ke bahut kareeb aapko hardik badhai.....
bahut sundar bhav sundar abhivyakti baDHAI jyotsana ji
ReplyDeleteबेपर्दगी , गुरबत का दर्द झेलना पड़ा ,
ReplyDeleteजब पाँव ने चादर में सिकुड़कर नहीं देखा ।
कमाल की पंक्तियाँ।
सुन्दर कविता...ज्योत्स्ना जी बहुत बधाई।
वाह, अनुभव कर जानो जीवन को
ReplyDeleteबेहतरीन...
ReplyDeleteक्यूँ पास में थे पंख फिर उड़कर नहीं देखा ।
सुन्दर और भावपूर्ण..
सादर
अनु
पूरी कविता की एक एक पंक्ति दिल को छू लेती है...बहुत सुन्दर...बधाई...|
ReplyDeleteप्रियंका
एक-एक पंक्ति दिल को छू गयी !
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत भावों से भरी कविता डॉ ज्योत्स्ना जी !
~सादर!!!
Rachanaa ji ,Manju ji ,Dr. Bhawna ji ,Shashi ji ,Krishna ji ,Praveen ji ,Anu ji ,Priyanka ji evam Anita ji ..aapkii sneh bharee sundar pratikriyaa ke liye hriday se aabhaarii hun .
ReplyDeletesaadar
jyotsna sharma
Rachanaa ji ,Manju ji ,Dr. Bhawna ji ,Shashi ji ,Krishna ji ,Praveen ji ,Anu ji ,Priyanka ji evam Anita ji ..aapkii sneh bharee sundar pratikriyaa ke liye hriday se aabhaarii hun .
ReplyDeletesaadar
jyotsna sharma
bahut sundar rachna hai. " vo payas se tadpa bahut shahri gurur mein, gaon mein panghat tha magar mud kar nahi dekha.
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ReplyDeletebeeti hui baaton se..........sundar rachna hai. badhaai
pushpa mehra
beeti hui baaton se ....... bahut sundar rachna, badhaai
ReplyDeletepushpa mehra
.beeti hui baton se bichur kar nahin dekha
ReplyDeletepaas mein the pankh par ud kar nahin dekha
bahut sundar kya baat hai, badhaai
pushpa mehra