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सिन्दूरी आसमान
डॉ हरदीप सन्धु
|
डॉ ज्योत्स्ना |
1.
सुहानी भोर
सागर की लहरें
मचाएँ शोर ।
2.
भोर की बेला
चीं -चीं गाए चिड़िया
मन अकेला ।
3.
भोर किरण
मंद पवन ।
4.
हँसा सवेरा
खिड़की से झाँकती
स्वर्ण रश्मियाँ ।
5.
धीमी पवन
पँखुरी भरे आहें
खुशबू
मन ।
-0-
सुहानी भोर
ReplyDeleteसागर की लहरें
मचाएँ शोर ।
bahut sunder Hardeep ji ....
हाइकू की जुबान में अच्छे एहसास बिखेरे हैं ! खूब.....!!
ReplyDeleteहर हाइकु लहर की तरह भिगो गया , तरोताजा कर गया , पर ये दो हाइकु तो नायाब है
ReplyDeleteहँसा सवेरा
खिड़की से झाँकती
स्वर्ण रश्मियाँ ।
5.
धीमी पवन
पँखुरी भरे आहें
खुशबू मन ।
सुहानी भोर
ReplyDeleteसागर की लहरें
मचाएँ शोर ।
2.
भोर की बेला
चीं -चीं गाए चिड़िया
मन अकेला ।
बहुत हर खूबसूरत प्रकृति का वर्णन और एक गीत की खुशबू । बेतरहीन लय ताल लिए हाइकु। ये है अनुभव की मशाल ।
हार्द्रिक बधाई।
ReplyDeleteसुवासित हुआ मन ....
हँसा सवेरा
खिड़की से झाँकती
स्वर्ण रश्मियाँ । ..
धीमी पवन
पँखुरी भरे आहें
खुशबू मन ।.....बधाई आपको ...Hardeep ji !!
भोर की बेला
ReplyDeleteचीं -चीं गाए चिड़िया
मन अकेला।
बहुत सुन्दर...हरदीप जी बहुत बधाई।
khubsurat rachna....
ReplyDeleteवाह .... बहुत खूब
ReplyDeleteबहुत सुंदर हाइकू...खूबसूरत शब्द और भाव..
ReplyDeleteभोर की बेला
ReplyDeleteचीं -चीं गाए चिड़िया
मन अकेला।
बहुत सुन्दर हाइकु। बधाई
Bahut khub !
ReplyDeleteखूबसूरत हाइकू...
Delete"भोर की बेला
चीं -चीं गाए चिड़िया
मन अकेला ।"...बधाई
डॉ सरस्वती माथुर
मन मोहित तुकांत हाइकु .
ReplyDeleteबधाई .
भोर का कोलाहल पर मन अकेला... यह भी जीवन का रूप.
ReplyDeleteभोर की बेला
चीं -चीं गाए चिड़िया
मन अकेला ।
सभी हाइकु बहुत भावपूर्ण.
भोर किरण
ReplyDeleteसिन्दूरी आसमान
मंद पवन ।
बहुत सुन्दर हाइकु ...!!
आपके दिए स्नेह और सम्मान के लिए मैं बहुत आभारी हूँ ।
ReplyDeleteआपका ये अपनापन मुझे लिखने की एक नई शक्ति से भर जाता है ।
प्रकृति के विविध रंगों को चित्रित करते सुंदर हाइकू ....मीनाक्षी जिजीविषा
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
ReplyDeleteहँसा सवेरा
खिड़की से झाँकती
स्वर्ण रश्मियाँ ।
किसी तस्वीर की तरह...
सादर
अनु
सुन्दर हाईकू
ReplyDeleteधीमी पवन
ReplyDeleteपँखुरी भरे आहें
खुशबू मन ।
बहुत सुन्दर...बधाई...|