bahut pyaari rachna, badhai bhaaisahab.
वाह ! पढ़ते ही अनायास यही निकला...बहुत सुन्दर रचना है...।
Dr. Rama Dwivedi...क्या बात है हिमांशु जी ...बहुत सच कहा है आपने ...बधाई ... नए संवत्सर युगादि की मंगलकामनाएं ...
वाह! क्या खूब!
हिमांशु जी ,बहुत ही प्यारी रचना है .....हर अक्षर दिल को छू गया !मार्मिक रचना के लिए बधाई !इस मुत्तक के जवाब में कुछ कहना कहती हूँ ..... सीख लिया ये जिस दिन हमनेबिन हिसाब रिश्ते निभाना देखना फिर उस दिन तुम कुछ और ही होगा यह ज़माना !हरदीप
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना ! रिश्ते तो होते ही सँवारने के लिए हैं, उनके बीच हिसाब किताब की गुंजाइश नहीं होती, जो, बदले में क्या मिला की नाप तौल पर चले वो रिश्ते नहीं व्यावहारिकता है.
भाई हिमांशु जी, बहुत प्यारा मुक्तक है। इस मुक्तक के जवाब में हरदीप जी ने भी जो अपनी टिप्पणी में पंक्तियाँ कही है, वे भी लाजवाब हैं।
Bahut khubsurat mukatk "riste" par likha ha bahut-2 badhai..sach risto men judav hona chiye hisaab kitaab nahi..
kitna sunder bhavo se bhara muktak hai anand aaya badhai ho saaderrachana
मुक्तक अच्छा है.
laazavaabagazal
aadar niy sir bahut bahut hi achhi lagi aapki likhi muktak avam sindar bhavnao ki abhvykti.bahut bahut badhi sadar dhanyvaad poonam
हर वर्क पर है सिर्फ़ तेरा नाम ,खोलकर दिल की क़िताब मत देखो॥वाह, वाह | क्या अंदाजे बयां है !
This comment has been removed by the author.
bahut pyaari rachna, badhai bhaaisahab.
ReplyDeleteवाह ! पढ़ते ही अनायास यही निकला...बहुत सुन्दर रचना है...।
ReplyDeleteDr. Rama Dwivedi...
ReplyDeleteक्या बात है हिमांशु जी ...बहुत सच कहा है आपने ...बधाई ...
नए संवत्सर युगादि की मंगलकामनाएं ...
वाह! क्या खूब!
ReplyDeleteहिमांशु जी ,
ReplyDeleteबहुत ही प्यारी रचना है .....
हर अक्षर दिल को छू गया !
मार्मिक रचना के लिए बधाई !
इस मुत्तक के जवाब में कुछ कहना कहती हूँ .....
सीख लिया ये जिस दिन हमने
बिन हिसाब रिश्ते निभाना
देखना फिर उस दिन तुम
कुछ और ही होगा यह ज़माना !
हरदीप
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना ! रिश्ते तो होते ही सँवारने के लिए हैं, उनके बीच हिसाब किताब की गुंजाइश नहीं होती, जो, बदले में क्या मिला की नाप तौल पर चले वो रिश्ते नहीं व्यावहारिकता है.
ReplyDeleteभाई हिमांशु जी, बहुत प्यारा मुक्तक है। इस मुक्तक के जवाब में हरदीप जी ने भी जो अपनी टिप्पणी में पंक्तियाँ कही है, वे भी लाजवाब हैं।
ReplyDeleteBahut khubsurat mukatk "riste" par likha ha bahut-2 badhai..sach risto men judav hona chiye hisaab kitaab nahi..
ReplyDeletekitna sunder bhavo se bhara muktak hai anand aaya
ReplyDeletebadhai ho
saader
rachana
मुक्तक अच्छा है.
ReplyDeletelaazavaab
ReplyDeleteagazal
aadar niy sir
ReplyDeletebahut bahut hi achhi lagi aapki likhi muktak avam sindar bhavnao ki abhvykti.
bahut bahut badhi
sadar dhanyvaad
poonam
हर वर्क पर है सिर्फ़ तेरा नाम ,खोलकर दिल की क़िताब मत देखो॥
ReplyDeleteवाह, वाह | क्या अंदाजे बयां है !
This comment has been removed by the author.
ReplyDelete