पथ के साथी

Friday, May 30, 2025

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विजय जोशी

 (पूर्व ग्रुप महाप्रबंधक, भेल )

 


1

प्यार तो एक फूल है

फूल तो एक प्यार है

हम- तुम :

इसकी दो पंखुरियाँ हैं

समय रहते न रहते

पंखुरियाँ झर जाएँगी

शेष रह जाएगी

महक :

हमारे- तुम्हारे प्यार की

दिल के इसरार की

मन के इकरार की

जो रच- बसकर वातावरण में

छा जाएगी अरसों तक

महकेगी बरसों तक

प्यार तो एक फूल है .....

-0-

2-मैं हूँ ना !

 


भयावह आँधी

प्रबल झंझावात

उखड़ते महावृक्ष

विपथगा महानदियाँ

घनघोर अँधेरी रात

श्मशान- सा समाँ

 

वृक्ष के कोटर में डरा- सहमा

चिड़िया का नन्हा बच्चा

डर से काँपता, माँ से बोला :

माँ ! हमारा क्या होगा

 

माँ ने अपने पंखों में

उसे समेटते हुए कहा :

डरो मत, मैं हूँ ना!

-0-

51 comments:

  1. हालांकि 'प्रेम 'के बजाय भी इन दिनों कविता आगे बढ़ी है, परन्तु सर जी!प्रेम तो प्रेम है इसका होना इसके बाद भी हमारा होना है, बहुत सुन्दर कविता, हार्दिक शुभकामनाएँ।
    - भीकम सिंह

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    1. आदरणीय भीकम जी
      प्रेम तो दैविक अनुभूति का दूसरा नाम है। हार्दिक आभार। सादर

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  2. प्यार तो एक क फूल है।बहुत सुंदर भाव। दोनों कविताएँ बेहतरीन। विजय जोशी जी को हार्दिक बधाई। सुदर्शन रत्नाकर

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    2. आदरणीया
      आपके स्नेह के प्रति हार्दिक आभार सहित सादर

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  3. बहुत सुंदर कविताएँ

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  5. दोनों कविताएँ प्रेम के कोमल भाव को य्रस्तुत कर रही हैं । कोमल भाव बेहतरीन

    तरीके बन पड़ा है । जिससे कविता में भाव सौंदर्य उभर के आया है । हार्दिक बधाई आ. विजय जोशी जी को ।

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    1. आदरणीया
      बहुत मनोयोग से पढ़कर प्रतिक्रिया प्रदान की आपने। कोमलतम भाव समझने के लिये हार्दिक आभार। सादर

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  6. यह कविता "प्यार तो एक फूल है" अत्यंत कोमल और भावनात्मक अभिव्यक्ति है। इसमें प्रेम को एक फूल के रूप में चित्रित किया गया है, जिसकी दो पंखुड़ियाँ "हम" और "तुम" हैं — एक गहरी आत्मीयता और जुड़ाव का प्रतीक। समय के साथ पंखुड़ियाँ झर सकती हैं, परंतु उस प्रेम की महक, जो दिल की गहराइयों से निकली है, वह वातावरण में रच-बस जाती है और लंबे समय तक बनी रहती है।

    कविता की सबसे खास बात यह है कि यह क्षणिकता और स्थायित्व — दोनों को एक साथ दर्शाती है। प्रेम भले ही भौतिक रूप में न रहे, पर उसकी अनुभूति, उसकी सुगंध — सदा बनी रहती है। यह एक अत्यंत संवेदनशील, गूढ़ और सौंदर्यपूर्ण काव्य रचना है, जो पाठक के मन को छू जाती है।


    -



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    1. आदरणीया प्रोफेसर
      आपने तो मंतव्य को नई ऊंचाई तक पहुंचा दिया। सारगर्भित सत्व एवं तत्व सहित। एक पावन अनुभूति के स्तर पर। हार्दिक आभार सहित सादर

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  7. विजय जोशी जी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

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  8. विजय जोशी जी की दोनों ही कविताएँ बेहद खूबसूरत हैं , हार्दिक बधाई स्वीकारें . सविता अग्रवाल “ सवि “

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    1. आदरणीया
      पसंदगी के लिये हार्दिक आभार। सादर

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  9. पिताश्री अप्रतिम कविताएँ । मेरे पिताश्री का कोई जवाब नहीं । सादर प्रणाम पिताश्री🙏

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  10. बहुत ही सुंदर कविताएं

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    1. प्रिय मनीष
      हार्दिक आभार। सस्नेह

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  11. प्रिय हेमंत
    हार्दिक आभार सहित सस्नेह

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  12. बहुत ही सुंदर कविताएं लिखी हैं आपने सर। इन कविताओं की खुशबू हमेशा वातावरण को महाकाएगी।

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    1. राजीव भाई
      आप तो स्नेह के धनी हैं। सदा यही स्नेह बनाए रखियेगा। हार्दिक आभार। सादर

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  13. दोनों कविताएं अति सुन्दर हैl आपके निर्मल ह्रदय के समान ही सरल दिलों को छू लेने वाली कविता में मानो आपने अपना मन खोल कर रख दिया, जो अपने स्नेह की महक तथा निर्बल का संबल हैl

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    1. आदरणीय
      आपके साथ सत्संग का प्रतिफल है ये दोनों। सज्जनो का आशीर्वाद भक्ति का पहला प्रकार। हार्दिक आभार सहित सादर

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  14. बहुत ही बढ़िया कविताएं हुई सर 🌹💐
    यथार्थ एवं समसामयिक 👍

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    1. प्रिय रजनीकांत
      हार्दिक आभार। सस्नेह

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  15. आदरणीय सर,
    अत्यंत ही सुंदर और सारगर्भित कविताएं।
    धन्यवाद।

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    1. दोनों कविताएं उमदा लिखी हैं, बहुत दिनों के बाद आप के द्वारा रचित कविता पढ़ने का मौका मिला बहुत बहुत शुभकामनाएं सर जी 🙏💐

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    2. महेश भाई
      आप बहुत ख़्याल रखते हैं मेरा। यह बात अंतर्मन को छूती है। हार्दिक आभार सहित। सस्नेह

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  16. बहुत ही सुंदर कविताएं सर।
    मुकेश

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  17. अति सुन्दर कविताएं।
    मुकेश श्रीवास्तव

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  18. प्रिय बंधु मुकेश
    हार्दिक आभार। सादर

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  19. प्रेम तो अनन्त है जन्म जन्मांतरों साथ है बहुत सुंदर रचनाएं आदरणीय सर
    डी सी भावसार

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    1. आदरणीय भावसार जी
      हार्दिक आभार।सादर

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  20. Ati Sundar Rachna

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    1. विजय जोशी31 May, 2025 10:15

      हार्दिक आभार

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  21. फूल तो एक प्यार है प्यार तो एक फूल दिल को छूती एक सच्ची अनुभूति

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    1. विजय जोशी31 May, 2025 10:17

      आदरणीया
      हार्दिक आभार सादर

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  22. आदरणीय भाई साहब,
    दोनों कविताये बहुत ही सुन्दर, सारगर्भित जहां एक और प्यार की अभिव्यक्ति हैं, वही दूसरी और माँ का आत्मविश्वास अपने बच्चो के लिए अत्यंत विषम परिस्तिथियो में, मुझे आपका छोटा भाई होने पर गर्व हैं, आपका आभार।

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    1. प्रिय संदीप
      जीवन में स्नेह का भाव तुमसे सीखा है। आचरण में मुझसे बड़े जो हो। सस्नेह

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  23. विजय जोशी सर की दोनों ही कविताएँ बेहद खूबसूरत हैं , हार्दिक बधाई आपको ।

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    1. विजय जोशी31 May, 2025 10:19

      आदरणीया
      आपकी पसंदगी बहुत मायने रखती है। सो हार्दिक आभार। सादर

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  24. वास्तव में प्यार फूल की तरह होता है,नाजुक मखमली अहसास सा, उसकी खुशबू वातावरण को पवित्र व खुशमय बना देती है और माँ का हाथ जब सिर पर होता है तो कोई अला-बला फटक ही नहीं सकती । दोनों ही कविताएं बहुत सुन्दर..,जीवंत सी...., बधाई आदरणीय

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  25. हार्दिक आभार मित्र

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  26. अद्भुत , शाश्वत ,जो निरंतरता लिये हुए
    साधुवाद आनंद की सृष्टि के लिये
    धन्य है मित्र, जिसका आप जैसा मित्र है
    सुगंध आ रही है ....श्रीकृष्ण

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    1. प्रिय बंधु
      हार्दिक आभार सहित सादर

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  27. राजेश दीक्षित31 May, 2025 11:15

    आपकी दोनों कविताएं मन को छूने वाली मार्मिक कृतियां हैं। पढ़ने के बाद जो भाव मन में है उन्हें लिपी बद्ध करना सम्भव नहीं हो पा रहा। पर एक अहसास जरुर मन को यादों के झरोखें से महसूस करा रहा है। सादर

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    1. प्रिय राजेश भाई
      यह आपका भावुक एवं संवेदनशील मन है जिसने भाव पक्ष को परख लिया और वह भी कामकाजी use and throw वाले दौर में। हार्दिक आभार सहित सादर

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  28. आपकी दोनों ही कविताएं बहुत सुन्दर हैं। माँ का साथ हो तो हर अला-बला टल जाती है और प्यार तो वास्तव में फूल की तरह होता है,नर्म,नाजुक,मखमली अहसास सा, जितना संभालो उतना ही महकता है। बधाई आदरणीय
    शीला मिश्रा

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  29. आदरणीया
    प्यार का भाव दैहिक नहीं अपितु दैविक होता है। आपने सही परख लिया। हार्दिक आभार सहित सादर

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  30. सटीक उपमा है। मन को छू गई।

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  31. आदरणीय
    आपकी आशीर्वाद स्वरूपी प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार। सादर

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