दोहे - विभा रश्मि
(गुड़गाँव)
1
ओसारे में रात भर, भीगा पीत गुलाब।
रूप दिया फिर भोर ने, छिटका अमित शबाब।।
2
बिछे डगर में शूल जब, करें पाँव में छेद।
करके लहूलुहान भी, जतलाते ना खेद।।
3
रिश्ते सब ओछे हुए, कैसे पले लगाव।
चिंदी- सा ईंधन बचा, कैसे जले अलाव।।
4
फुलवारी क्यारी कहे, सुन ले मन की बात।
बिखरा सरस सुगंधियाँ, हँस ले सह आघात।।
5
सुबह की नरम धूप खा, झूमी हरियल घास।
पीत रंग का पुष्प खड़ा, जगा रहा था आस।।
6
जन्मों का बंधन बँधा, जीता मन का साथ।
फिर क्यों मेरे हाथ से, छूटा तेरा हाथ।।
7
चलें हवाएँ विष भरी, दूषित हर जलधार।
कुदरत भी है सोचती, किसने ठानी रार।।
8
सघन कुहासा है तना, धुँधली हुई उजास।
सभी नज़ारे छुप गए, मनवा हुआ उदास।।
9
जल जिस साँचे में पड़े
,लेता वह आकार।
ऐसा ही सज्जन सदा, करते हैं आचार।।
10
किरणें नहलाती रहीं, उपवन झील पहाड़।
तिल जैसे नन्हे घटक , बनना चाहें ताड़।।
-0-
बहुत सुन्दर दोहे।
ReplyDeleteहार्दिक बधाई 💐💐💐
सादर
दिल से आभार आपका ।
Deleteवाह, बहुत सुंदर, हार्दिक शुभकामनाऍं।
ReplyDeleteहृदय तल से आभार भीकम भाई ।
Deleteसुंदर दोहे हैं।
ReplyDeleteअनिता जी दिली आभार आपका ।
Deleteबहुत सुंदर दोहे।
ReplyDeleteढेरों शुभकामनाएँ।
अनिता जी आपका दिल से शुक्रिया ।
Deleteबहुत सुन्दर सृजन 🙏
ReplyDeleteआपकी हृदय तल से आभारी हूँ ।
Deleteबहुत ही सुन्दर।
ReplyDeleteहार्दिक बधाई आपको।
दोहे पसंद करने के लिए दिल से शुक्रिया।
Deleteबहुत ही सुंदर, मनभावन दोहे। हार्दिक बधाई विभा जी। सुदर्शन रत्नाकर
ReplyDeleteआपको तहेदिल से शुक्रिया रत्नाकर जी ।
Deleteसुंदर दोहे।
ReplyDeleteआपका तहेदिल से शुक्रिया उमेश भाई।
Deleteबहुत सुंदर दोहे।
ReplyDeleteडाॅक्टर सुरंगमा जी आपका दिल से आभार ।
Deleteबहुत सुंदर दोहे...हार्दिक बधाई विभा जी।
ReplyDeleteआपका हार्दिक आभार।
Deleteसुंदर, सटीक, सार्थक एवं समकालीन। हार्दिक बधाई
ReplyDeleteहृदय तल से आपका आभार ।
Deleteशुभकामनाएं बहुत सुंदर लिखा है
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका ।
Deleteबहुत सुंदर भावपूर्ण दोहे
ReplyDeleteबहुत सुंदर एवं भावपूर्ण दोहे!
ReplyDelete~सादर
अनिता ललित
दिल.से आपका शुक्रिया अनिता जी ।
Deleteमनमोहक दोहे , कहीं प्रकृति का सौन्दर्य है तो कहीं रिश्तों की सच्चाई | सादर शुभकामनायें .....कमला निखुर्पा
ReplyDeleteदिल से आपका बहुत आभार कमला जी ।
Deleteवाह, सभी दोहे अत्यंत सुन्दर, भावपूर्ण. हार्दिक बधाई
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका. शिवजी भाई ।
Delete👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻 ग़ज़ब
ReplyDeleteसभी दोहे सुंदर, मनमोहक!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर एवं अर्थपूर्ण दोहे, बधाई विभा रश्मि जी.
ReplyDeleteरामेश्वरजी,आपका सतत-समृद्ध-लेखन हिन्दी साहित्य की भी उपलब्धि है।
ReplyDeleteसुझाव या अनुरोध-आग्रह,जो भी मानिये--अपने अद्यतन बालसाहित्य को
एक जिल्द में भी कर दीजिये।
बन्धु कुशावर्ती,बृहस्पतिवार:२१-११-२०२४,
८.२५ प्रात:,लखनऊ ९७२१८ ९९२६८
दोहों की इस नाव में,भाव भरे गम्भीर।
ReplyDeleteबन्धु कुशावर्ती,८.३२ प्रात:,बृहस्पतिवार,
लखनऊ:२१-११-२०२४//९७२१८ ९९२६८
बहुत सुंदर भाव, बहुत सुंदर शब्द संयोजन, प्रकृति के सुंदर बिंब लिए बहुत सुंदर दोहे। बधाई विभा रश्मि जी 💐
ReplyDeleteबहुत सुंदर सार्थक दोहे... हार्दिक बधाई।
ReplyDelete