पथ के साथी

Saturday, January 28, 2023

1279

 

1-नारी तुम क्या हो?

डॉ. सुरंगमा यादव

 



 नारी तुम देवी हो, ममता हो

 त्याग हो, समर्पण हो, धैर्य हो, क्षमा हो

 प्रतिष्ठित कर दिया नारी को

एक ऊँचे सिंहासन पर

 और लगा दिया अपेक्षा-उपेक्षा का

 एक बड़ा-सा छत्र

 अपने सपनों को समझो पराली

 सींचती रहो औरों के सपने

 अन्यथा प्रश्न चिह्न है तुम पर

 त्याग के लि तुम देवी हो, पूज्या हो

वासना के लिए फूल हो, सुकोमल हो

 जब मन भर गया तो माया हो

 पुरुष के अहं के आगे तुम

 अबला हो, अज्ञानी हो

 अपमान का घूँट पीने के लिए

 धैर्य हो, क्षमा हो

 अपनी सुविधानुसार नर समाज

 चिपका देता है विशेषण तुम पर

 और भूल जाता है

 नारी देवी है, तो उसका अपमान क्यों?

 अगर वह अबला है तो

 कैसे दुख के पहाड़ काटकर

 रास्ता बना लेती है

 अपनी विशेषताओं का बखान

बहुत सुन चुकी नारी

 अब उससे अपना मूल्यांकन

 स्वयं करने दो

 उसके लिए क्या होना चाहिए

 उसे स्वयं चुनने दो।

 -0-

2-मौसम का गीलापन

प्रियंका गुप्ता

 


बर्फ़ पिघली है

पहाड़ों पर

धूप चटख थी

ढलानों पर बहता पानी 

उसकी आँखों में आ समाया

जाने कैसे

जाते मौसम का गीलापन

अब भी बाकी था 

किसी धूप से

सूखेगा क्या ?

-0-

3-मनोभाव 

भीकम सिंह 

 


आड़ा

और तिरछापन 

फँसा रहा जीवन में 

 

सीधा हुआ नहीं 

मैं रहा हमेशा 

सीधेपन में 

 

मन को मिले 

चिंता के, ताने- बाने

अपनेपन में 

 

तुम मानो या ना मानो

ये मनोभाव होते ही हैं 

नश्वर तन में ।

-0-

15 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. हार्दिक बधाई 🙏

    ReplyDelete
  2. बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण तीनों कविताएँ।

    आदरणीया सुरंगमा जी, प्रियंका जी एवं आदरणीय भीकम सिंह जी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ 🌷💐🌹

    सादर

    ReplyDelete
  3. तीनो रचनाएँ बहुत सुन्दर, आप सभी को बधाई।

    ReplyDelete
  4. डॉ सुरंगमा यादव और प्रियंका गुप्ता जी को खूबसूरत रचनाओं के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ , मेरी कविता प्रकाशित करने के लिए सम्पादक जी का हार्दिक धन्यवाद, आभार ।

    ReplyDelete
  5. बहुत सुन्दर रचनाएँ... आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ।

    ReplyDelete
  6. सुरँगमा जी ने नारी जीवन का बहुत सटीक विश्लेषण किया , प्रियंका जी की अभिव्यक्ति भावपूर्ण और भीकम सिंह जी ने जीवन के आड़े और तिरछेपन का सच बाखूबी उजागर किया!

    आप तीनों को बधाई!

    ReplyDelete
  7. प्रियंका जी बहुत भावुक कविता। आदरणीय भीकम सिंह जी की रचना बहुत सुंदर। ये पंक्तियाँ मन छू गयीं।

    मन को मिले
    चिंता के, ताने- बाने
    अपनेपन में

    आदरणीय काम्बोज भैया के प्रति हार्दिक आभार।

    ReplyDelete
  8. बहुत सुन चुकी नारी
    अब उससे अपना मूल्यांकन
    स्वयं करने दो
    उसके लिए क्या होना चाहिए
    उसे स्वयं चुनने दो।
    बहुत सुंदर। हार्दिक बधाई सुरंगमा जी

    ReplyDelete
  9. भावपूर्ण पंक्तियाँ। बहुत सुंदर कविता। हार्दिक बधाई प्रियंका जी। सुदर्शन रत्नाकर

    ReplyDelete
  10. जाते मौसम का गीलापन
    अब भी बाकी था
    किसी धूप से
    सूखेगा क्या ?

    ReplyDelete
  11. सीधेपन में
    मन को मिले
    चिंता के, ताने- बाने
    अपनेपन में बहुत ख़ूब। सुंदर रचना के लिए बहुत बहुत बधाई भीकम सिंह जी।

    ReplyDelete
  12. सुरंगमा जी , प्रियंका जी और भीकम जी आप सभी की सुन्दर रचनाओं ने प्रभावित किया |अनेक बधाई आप सभी को यूँ ही लेखन चलता रहे आपका | सविता अग्रवाल "सवि"

    ReplyDelete
  13. आदरणीय सुरंगमा जी और भीकम जी की सशक्त रचनाओं के साथ अपनी रचना को भी देखकर अत्यंत प्रसन्नता हुई , आभार आदरणीय काम्बोज जी का और सम्मानीय भीकम जी और सुरंगमा जी को उनकी सुन्दर रचनाओं के लिए बहुत बधाई

    ReplyDelete
  14. सभी कविताएँ बहुत सुंदर एवं भावपूर्ण !

    ~सादर
    अनिता ललित

    ReplyDelete