पथ के साथी

Sunday, August 15, 2021

1125-आज़ादी के मायने

 रश्मि विभा त्रिपाठी 'रिशू'

 

आज 15 अगस्त है


आँख खुलते ही

आज़ादी  के मायने

याद आए

जो ज़्यादातर के लिए

यही हैं

बिल्कुल सही हैं

कार्य-स्थल पर

कुछ नारे लगवाने हैं

देश-भक्ति के गीत गाने हैं

अमर शहीदों को

श्रद्धांजलि-सुमन

अर्पित कराने हैं

बच्चों के हाथों में

तिरंगे थमाने हैं

बूँदी के दौने

बँटवाने हैं

कुछ घर के लिए

बचाने हैं

आखिर उन्हें भी तो

ये उत्सव मनाने हैं

रैली निकाली जानी है

एक सभा

आयोजित करानी है

अपना पक्ष

गम्भीरता से रखना है

भाषण में करना है

परतन्त्रता का विरोध

स्वतंत्रता में बड़ा अवरोध

जो सदा से है

फिर साहब को

घर वापस जाना है

स्व-सुविधा हेतु

कुसुमा पर

दिन भर हुकुम चलाना है

शोषण मुक्ति की बात

साहब

मजदूर दिवस पर अगली बार करेंगे

फिर भाषण दे दासी का उद्धार करेंगे।

16 comments:

  1. बेहतरीन व्याख्या करती ,सुंदर कविता, हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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  2. बहुत ही अच्छी रचना। हार्दिक बधाई, शुभकामनाएँ।

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  3. बहुत अच्छा कटाक्ष...सुंदर कविता।बधाई।

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  4. सहज साहित्य में मेरी रचना को स्थान देने हेतु आदरणीय गुरु जी का हार्दिक आभार।
    रचना को सराहती आपकी सुन्दर टिप्पणी का हृदय तल से आभार।

    सादर

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  5. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (16-08-2021 ) को 'नूतन के स्वागत-वन्दन में, डूबा नया जमाना' ( चर्चा अंक 4158 ) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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  6. बहुत ही बेहतरीन कविता 👌💐

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  7. बहुत बढ़िया रचना।

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  8. बेहतरीन रचना।

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  9. किसी भी विषय पर वैचारिकी विषमता सामान्य है किंतु स्वतंत्रता दिवस से भावनात्मक लगाव अतार्किक ही मान्य है।
    जयहिंद।

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  10. बेहतरीन रचना।

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  11. यह वयंगय सच्चाई कह गया !

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  12. बहुत अच्छी रचना ,, हार्दिक बधाई।

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  13. रश्मि जी आज के समाज जा दर्पण दिखाती कविता है बधाई।

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  14. बड़ा सटीक कटाक्ष करती हुए इस बढ़िया रचना के लिए रश्मि जी को बहुत बधाई

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