पथ के साथी

Monday, January 11, 2021

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 अनिता मंडा

1

परिभाषाएँ प्रेम की, गई अधूरी छूट।

खिलता जिस पर पुष्प-मन, डाल गई वो टूट।।

2

पाखी तिनके खोजते, कहाँ बनाएँ नीड़।

जंगल हैं कंक्रीट के, दो पायों की भीड़।।

3

नीड़ बनाया था जहाँ, कहाँ गई वो डाल।

वाणी तो अब मौन है, नज़रें करें सवाल।।

4

ओढ़ चाँदनी का कफ़न, सोई काली रात।

अपने मन को तो मिली, चुप्पी की सौगात।।

5

चुप्पी हमने साधकर, कर डाला अपराध।

प्यासा हर पल रक्त का, समय बड़ा है व्याध।।

6

बंद पड़ी सब खिड़कियाँ, खुले न रोशनदान।

अवसादों के जाल से, मन का घिरा मकान।।

7

बादल घिरते देखकर, चिड़िया है बेहाल।

जिन शाखों पर घोंसला, रखना उन्हें सँभाल।।

8

बालकनी में हैं रखे, कितने मौसम साथ।

यादों वाली चाय है, हाथों में ले हाथ

9

दुख गलबहियाँ डालकर, चलता हर पल साथ।

याद नहीं किस मोड़ पर, छोड़ चला सुख हाथ।।

10

सदियों से होता नहीं, लम्हों का अनुवाद।

यादों की धारा बहे, मन सुनता है नाद

14 comments:

  1. बहुत सुन्दर दोहे, हार्दिक बधाई।

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  2. ह्र्दयस्पर्शी दोहे।
    कई बार पढ़े।

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  3. बहुत सुंदर ,भावपूर्ण दोहे अनिता जी। हार्दिक बधाई आपको।

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  4. बहुत सुंदर भावपूर्ण सहज एवं गहन अनुभूति परक दोहे। हार्दिक बधाई।
    -परमजीत कौर'रीत'

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  5. बहुत ही सुन्दर एवं भावपूर्ण दोहे।
    हार्दिक बधाई आदरणीया।

    सादर-
    रश्मि विभा त्रिपाठी 'रिशू'

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  6. अनित मंडा जी के दोहे पढकर मन में उठा विचार,
    दो लाइनों में भर दिया जीवन का सारा सार | अति सुंदर भावों से पूर्ण | बधाई स्वीकार करें |श्याम त्रिपाठी हिंदी चेतना

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  7. एक से बढ़कर एक सुंदर दोहे .....
    क्रमांक 4/8/9/10 बेहतरीन
    अनेकों शुभकामनाएँ

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  8. बहुत सुन्दर दोहे...हार्दिक बधाई।

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  9. सुंदर दोहे , बधाई अनिता जी ।

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  10. इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए आप सभी का बहुत शुक्रिया।

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  11. जीवन सार से ओत प्रोत दोहे हैं अनिता जी हार्दिक स्वीकारें |

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  12. बेहतरीन दोहे अनीता जी | जैसे सदियों से लम्हों का अनुवाद संभव नहीं, वैसे ही कुछ शब्दों में इन दोहों की प्रशंसा भी मेरे लिए असंभव है | अनेक शुभकामनाएँ

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  13. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण दोहे, बधाई अनिता जी.

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  14. बहुत सुंदर और हृदयस्पर्शी दोहे,हार्दिक बधाई प्रिय अनिता!

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