पथ के साथी

Tuesday, August 4, 2020

1020-साँझ का धुँधलका

कमला निखुर्पा

 

गगन रंगमंच

रंगों से खेले

बावरे ये बदरा।

 

कर सोलह शृंगार

झील में झाँ

निज बिम्ब- प्रतिबिम्ब

शरमाए है कोई।

 

रक्तिम क्यों कपोल

संध्या रानी के

कानों में कह गईं

कुछ तो पुरवैया ।

 

चहक चले

बादलों के संग

विहग वृन्द 

भर ऊँची उड़ान

दूर क्षितिज तलक।

 

पाने को एक झलक

अँखियाँ ये मेरी

क्यों खुली की खुली

झपके न पलक ।

 

सरकता रहा

स्यामल पट

धीरे धीरे....

ओझल हुआ

गगन रंगमंच

फिर से रचेगी

संध्या रानी

कल नई नाटिका ।


15 comments:

  1. संध्या रानी वाकई रोज एक नए रंग रूप में आती है, और सब को उसी में रंग लेती है, अति सुंदर चित्रण और अभिव्यक्ति, हमेशा की तरह। आपको बहुत बहुत बधाई कमला जी!!

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  2. रक्तिम क्यों कपोल

    संध्या रानी के

    कानों में कह गईं

    कुछ तो पुरवैया ।

    सुंदर अभिव्यक्ति और मनोहारी चित्रण।उत्कृष्ट रचना।हार्दिक बधाई कमला जी।

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  3. गगन रंगमंच के क्या कहने
    वाह

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  4. वाह!संध्या सुन्दरी का मनोहारी चित्रण ।हार्दिक बधाई कमला जी।

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  5. बहुत सुन्दर! 👌👌

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  6. फिर से रचेगी
    संध्या रानी
    कल नई नाटिका ।....बहुत सुंदर,प्रकृति का स्वरूप नित नूतन ही होता है,वही शाम नित्य आती है पर हर दिन नए कलेवर में प्रतीत होती है,बस दृष्टि चाहिये....बहुत सुंदर बिम्बो से सजा संध्या का मानवीकरण।बधाई कमला जी।

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  7. प्रकृति का बहुत सुंदर चित्रण ..... मोहक बिम्ब

    हार्दिक बधाइयाँ कमला जी

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  8. धन्यवाद आप सभी का । मेरा उत्साह बढ़ाने के लिए । सहज साहित्य के मंच पर मेरी रचना को स्थान देने के लिए धन्यवाद आदरणीय ।

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  9. साँझ का दृश्य में बादल और झील के साथ सहज साहित्य का सुंदर सृजन मन को मोह गया । कमला निखुर्पा जी को बधाई ।

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  10. प्रकृति का मनमोहक चित्रण। कमला जी बहुत बधाई।

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  11. कमला जी, आपकी कविता में संध्या के रंग मन में रंग घोल रहे हैं | हार्दिक बधाई |

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  12. बहुत सुंदर

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  13. बहुत ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति !बधाई कमला जी!

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  14. बहुत सुन्दर सृजन....हार्दिक बधाई कमला जी !

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  15. बहुत सुंदर, कोमल एवं प्यारी रचना! हार्दिक बधाई कमला जी!

    ~सादर
    अनिता ललित

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