पथ के साथी

Wednesday, July 1, 2020

1013

वक़्त बोल रहा है !!
सीमा सिंघल 'सदा'

सब की बोलती बंद है इन दिनों,
वक़्त बोल रहा है ..
भय घोल रहा है!!
बड़ी ही ख़ामोशी से
कोई बहस नहीं,
न ही कोई,
सुनवाई होती है
एक इशारा होता है
और पूरी क़ायनात उस पर
अमल करती है!!!

सब तैयार हैं कमर कसकर,
बादल, बिजली, बरखा के साथ
कुछ ऐसे विषाणु भी
जिनका इलाज़,
सिर्फ़ सतर्कता है
जाने किस घड़ी
करादे, वक़्त ये मुनादी.…
ढेर लगा दो लाशों के,
कोई बचना नहीं चाहि!!
2020 फिर लौटकर
नहीं आएगा,
जो बच गया उसे
ये सबक याद रहेगा,
ज़िंदगी की डोर
सिर्फ़ ऊपरवाले के हाथ में है!!!
तुम क्या चीज़ हो 
वह तोल रहा है
वक़्त बोल रहा है !!
-0-

15 comments:

  1. मौजूदा हालात का वहुत बढिया चित्रण... हार्दिक बधाई सीमा जी।

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  2. मौजूदा हालात में सतर्कता ही परेशानियों से बचा सकती है बहुत बढ़िया

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  3. हर संकट में सचेत सतर्क रह कर ही हम उससे उबर सकते हैं। सुंदर चित्रण. बधाई सीमा जी।

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    1. समय को दर्ज़ करते हुए उद्गार!

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  4. यथार्थ का आईना दिखती बहुत सुंदर, सटीक रचना, आपको बधाई सीमा जी!!

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  5. आज के समय में जो कुछ घट रहा है उसका सही चित्रण किया है आप ने अपनी कविता में हार्दिक बधाई |

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  6. कोरोना से उपजी समस्याओं को वक्त के साथ सुंदर तरीके से पिरोया है , बधाई ।

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  7. जिंदगी की डोर सिर्फ ऊपर वाले के हाथ है....वर्तमान त्रासदी के संदर्भ में इस सत्य को रेखांकित करती यथार्थवादी कविता। सीमा सिंघल जी को बधाई

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  8. समयानुकूल सुन्दर कविता ।बधाई आपको ।

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  9. बहुत सुन्दर

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  10. समसामयिक कविता ... सुंदर चित्रण
    हार्दिक बधाइयाँ सीमा जी

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  11. आप सभी की इतनी उत्साहवर्द्धक टिप्पणियों के लिए अत्यंत आभार...|
    आदरणीय काम्बोज भैया जी का बेहद आभार जिन्होंने मेरी रचना को यहाँ स्थान दिया |
    सादर

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  12. समसामयिक घटनाचक्र का चित्रण करती रचना के लिए हार्दिक बधाई।

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  13. समसामयिक जीवन का सफल अंकन! बधाई आदरणीया

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  14. सुंदर और समसामयिक रचना के लिए हार्दिक बधाई सीमा जी !!

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