हृदय से निकली हुयी कुछ बातें जीवन की सत्यता की ओर संकेत करती हैं | "किसी ने ठीक लिखा है कि,"जग सुने न इतना धीरे गा , चुपचाप सुलग बाहर मत आ|| कब किसका दर्द बताया है कोलाहल ने ,यह कहा संन्यासी बादल ने | किस्मत की सोयी रेख जगाना मुश्किल है , इस धरती के अहसान चुकाना मुश्किल है || श्याम -हिन्दी चेतना
कटु सत्य कहती रचनाएँ
ReplyDeleteसुंदर सृजन हार्दिक शुभकामनाएँ सर
तीर एकदम निशाने पे लगाया है भाई साहब। वास्तविकता दर्शाती सुंदर रचना! आपको बधाई।
ReplyDeleteउम्दा अभिव्यक्ति... हार्दिक शुभकामनाएँ भाईसाहब।
ReplyDeleteहृदय से निकली हुयी कुछ बातें जीवन की सत्यता की ओर संकेत करती हैं | "किसी ने ठीक लिखा है कि,"जग सुने न इतना धीरे गा , चुपचाप सुलग बाहर मत आ|| कब किसका दर्द बताया है कोलाहल ने ,यह कहा संन्यासी बादल ने | किस्मत की सोयी रेख जगाना मुश्किल है , इस धरती के अहसान चुकाना मुश्किल है || श्याम -हिन्दी चेतना
ReplyDeleteकड़वे सच को दर्शाती सुन्दर रचना.... हार्दिक बधाई भैया जी !!
ReplyDeleteभावपूर्ण अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteहिम्मत वाली सकारात्मक सबसे सुंदर व प्रेरणादायक।
नमन आपको।
भावना सक्सैना
चाह कर हिम्मत हमारी तोड़ ना पाई। बहुत सुंदर । हार्दिक बधाई
ReplyDeleteकटु सत्य! दिल को छू गईं सभी रचनाएँ!
ReplyDelete~सादर
अनिता ललित
सर आपकी पंक्तियों ने मन विचलित कर दिया
ReplyDeleteसबका बहुत आभारी हूँ।।
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