हे वर्ष नव
1-डॉ.शिवजी श्रीवास्तव
काल के गतिमान रथ पर बैठकर
आ रहा है वर्ष नव।
करें अगवानी
उतारें आरती
और दें शुभकामनाएँ हम परस्पर
हास की, उल्लास की
मधुमास की
करें शुभ संकल्प सारे
प्रिय अभी
वक्त का रथ
लौटकर
आता नहीं है फिर कभी
क्या पता कब
काल हो शिव -सम सदय
राह में मंगल बिखेरे
दे अभय
और कब हो रुष्ट
बनकर रुद्र
भीषण करे ताण्डव
मचे विप्लव।
चलो हम सब करें
मिलकर प्रार्थनाएँ
हँसें कलियाँ
और भौंरे गुनगुनाएँ
उड़ सकें आकाश में
निर्द्वंद्व चिड़ियाँ
बाज के दुःस्वप्न
उनको ना डराएँ
ग्रस न पाए
खिलखिलाती धूप को
आतंक का कोहरा
कर न पाएँ
आँधियाँ उन्माद की
रक्तिम धरा
हर दिशा में
हो छटा ऋतुराज की
मृदु समीरण चलें मंथर
गंध की ले पालकी
फले- फूले वृक्ष पर हों
नीड़ सुंदर
चिरई-चिरवा कर रहे हों
केलि मनहर
भोर से ही चहचहाएँ
करें कलरव
इस तरह रहना बने
तुम वर्ष भर
नवल रथ पर आ रहे
हे वर्ष नव।
-0-
2-रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
नई भोर की
नई किरन का
स्वागत कर लो !
आँखों में
सब
आशाओं का
सागर भर लो !
भूलो
बिसरी बातें
दर्द-भरी
अँधियारी रातें
शुभकामना
की
देहरी
पर
सूरज
धर लो !
वैर-भाव मिट जाए
मन से , तन से
इस जीवन से
जगे प्रेम नित
दुःख सारी
दुनिया का हर लो !
-0-
नव वर्ष के स्वागत में सुंदर रचनाओं ने मन में मधुरता भर दी है।
ReplyDeleteआप दोनों को हार्दिक बधाई।
दोनों ही रचनाएँ अति सुन्दर, हार्दिक बधाई, शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteनववर्ष का स्वागत करती बहुत ही सुंदर रचनाएँ ....
ReplyDeleteश्रीवास्तव जी एवं काम्बोज सर को हार्दिक बधाई ...
सभी साहित्य प्रेमियों को नववर्ष की अनेकों शुभकामनाएँ
दोनों गीत बहुत अच्छे लगे।बधाई शिव जी को भी और कंबोज सर को भी।
ReplyDeleteदोनों नवगीत बहुत सुंदर....हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteदोनों ही गीत बहुत सुंदर हैं ।हार्दिक बधाई ।
ReplyDeleteदोनों रचनाओं से पावन भाव सागर छलक उठा है| आदरणीय काम्बोजजी और शिवजी श्रीवास्तव को बधाई |
ReplyDeleteथोड़ी देर से आ पाए इधर, पर मन प्रफुल्लित हो गया इन दोनों रचनाओं को पढ़ कर...| मेरी हार्दिक बधाई आप दोनों को...|
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