रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु
मुक्तक
1
वो जब कभी दूर होते हैं
हम बहुत मजबूर होते हैं।
खो गए सन्देश बीहड़ में
सपन चकनाचूर होते हैं।
-0-
ताँका
1
तर्पण करें
आओ सब सम्बन्ध
रुलाने वाले
धोखा देकर हमें
सदा सताने वाले।
2
एक तुम हो
जीवन में यों आए
खुशबू जैसे
जो कुछ है पास
तुम्हें अर्पण करें।
मुक्तक
1
वो जब कभी दूर होते हैं
हम बहुत मजबूर होते हैं।
खो गए सन्देश बीहड़ में
सपन चकनाचूर होते हैं।
-0-
ताँका
1
तर्पण करें
आओ सब सम्बन्ध
रुलाने वाले
धोखा देकर हमें
सदा सताने वाले।
2
एक तुम हो
जीवन में यों आए
खुशबू जैसे
जो कुछ है पास
तुम्हें अर्पण करें।
बहुत ही भावपूर्ण सृजन भैया जी
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर ,जीवन का यथार्थ बताती , मन छूती
ReplyDeleteप्रेम और संबंधों का चित्रण करता सुंदर सृजन।
ReplyDeleteसुन्दर सृजन के लिए हार्दिक बधाइयाँ
ReplyDeleteआप सबका बहुत आभार
ReplyDeleteकाम्बोज भाई सुन्दर सृजन है हार्दिक बधाई |
ReplyDeleteसुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति! बहुत बधाई!
ReplyDeleteसुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति! बहुत बधाई!
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