डॉ .जेन्नी
शबनम
1.   
मेरे अंतर्मन में पड़ी हैं 
 
ढेरों अनकही कविताएँ 
 
तुम मिलो कभी 
 
तो फुर्सत में सुनाऊँ तुम्हें। 
 
2.   
हजारों सवाल हैं मेरे अंतर्मन में 
 
जिनके जवाब तुम्हारे पास हैं 
तुम आओ गर कभी 
 
फुर्सत में जवाब बताना। 
 
3.   
मेरा अंतर्मन 
 
मुझसे प्रश्न करता है - 
 
आख़िर कैसे कोई भूल जाता है 
 
सदियों का नाता 
पल भर में 
 
उसके लिए 
 
जो कभी अपना नहीं था 
 
न कभी होगा। 
 
4.   
हमारे फ़ासले की मियाद 
 
जाने किसने तय की है 
 
मैंने तो नहीं, 
 
क्या तुमने? 
 
5.   
क्षण-क्षण कण-कण 
 
तुम्हें ढूँढती रही 
 
जानती हूँ 
 
मैं अहल्या नहीं कि 
 
तुमसे मिलना तय हो। 
 
6.   
कुछ तो हुआ ऐसा 
  
जो दरक गया मन 
 
गर वापसी भी हो तुम्हारी 
 
टूटा ही रहेगा तब भी यह मन। 
 
7.   
रात का अँधेरा 
 
अब नहीं डराता मुझे 
 
उसकी सारी कारस्तानियाँ 
 
मुझसे हार गई 
 
मैंने अकेले जीने की 
 
आदत जो पाल ली। 
 
8.   
ढूँढ़कर थक चुकी 
 
दिन का सूरज 
 
रात का चाँद 
 
दोनों के साथ 
 
लुकाचोरी खेल रही थी   
वे दगा दे गए 
 
छल से मुझे तन्हा छोड़ गए।   
9.   
अब आओ ,तो चलेंगे   
उन यादों के पास 
 
जिसे हमने छुपाया था 
 
समय से माँगी हुई तिजोरी में 
 
शायद कई जन्मों पहले। 
 
10.   
सोचा न था 
 
ऐसे तजुर्बे भी होंगे 
 
दुनिया की भीड़ में 
 
सदा हम तन्हा ही रहेंगे। 
 
11.   
चुप -से दिन   
चुप -सी रातें   
चुप- से नाते   
चुप- सी बातें   
चुप है ज़िन्दगी 
 
कौन करे बातें 
 
कौन तोड़े सघन चुप्पी ! 
 
12.   
तुमसे मिलकर जाना 
 
यह जीवन क्या है 
 
बेवजह गुस्सा थी 
 
खुद को ही सता रही थी 
 
तुम्हारी एक हँसी 
 
तुम्हारा एक स्पर्श   
तुम्हारे एक बोल 
 
मैं जीवन को जान गई। 
 
13.   
वक्त बस एक क्षण देता है 
 
बन जाएँ या बिगड़ जाएँ 
 
जी जाएँ या मर जाएँ, 
 
उस एक क्षण को 
 
मुट्ठी में समेटना है 
 
वर्तमान भी वही 
 
भविष्य भी वही, 
 
बस एक क्षण 
 
जो हमारा है 
 
सिर्फ हमारा ! 
 
14.   
नजदीकियाँ 
 
पाप-पुण्य से परे होती हैं 
 
फिर भी 
 
कभी-कभी 
 
फासलों पे रहकर 
 
जीनी होती है ज़िन्दगी। 
 
15.   
चाहती हूँ 
 
धूप में घुसकर 
 
तुम आ जाओ छत पर 
 
बडे दिनों से 
 
मुलाकात न हुई 
 
जी भर कर बात न हुई 
 
यूँ भी सुबह की धूप 
 
देह के लिए जरूरी है 
 
और तुम 
 
मेरे मन के लिए। 
 
 (9. 1. 2019)  
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हृदयस्पर्शी सृजन एवं उत्कृष्ट रचना कौशल आ.जेन्नी जी
ReplyDeleteमन को छूती बेहद सुंदर क्षणिकाएँ जेन्नी जी।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर, मार्मिक क्षणिकाएं! हार्दिक बधाई!
ReplyDeleteएक से बढ़कर एक भावभीनी क्षणिकाएँ... बहुत-बहुत बधाई जेन्नी जी
ReplyDeleteबहुत ही भावपूर्ण , उत्तम और मन में उतरती क्षणिकाएं ।
ReplyDeleteहार्दिक बधाई 💐💐
भावपूर्ण क्षणिकाएँ।
ReplyDeleteअत्यंत संवेदनशील रचनाएँ। हार्दिक बधाई डॉ जेन्नी जी।
ReplyDeleteमन को छूती बहुत उम्दा क्षणिकाएँ। हार्दिक बधाई जेन्नी जी।
ReplyDeleteसंवेदनाओं से पूर्ण क्षणिकाएं रची हैं जेन्नी जी हार्दिक बधाई |
ReplyDeleteक्या खूब लिखा है आपने जेन्नी जी...| मेरी हार्दिक बधाई स्वीकारें...|
ReplyDeleteमेरी क्षणिकाओं को आप सभी का स्नेह और मान मिला हृदय से आभारी हूँ. यहाँ स्थान देने के लिए काम्बोज भाई का सादर धन्यवाद.
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