औरत क्या है?
श्रीमती
सरला सैनी
सरला सैनी |
बेटी है औरत
बहन है औरत
माँ है औरत
बीवी है औरत
दुःख की गागर है औरत
सुख का सागर है औरत
ठण्डी-ठण्डी छाँव है औरत
सुलगती हुई धूप है औरत
बहता हुआ पानी है औरत
महकता हुआ फूल है औरत
दहकता हुआ अंगारा है औरत
सहनशक्ति की मिसाल है औरत
धरती पर स्वर्ग है औरत
ममता और प्यार की मूरत है औरत
देवियों में दुर्गा है औरत
ज्ञान का भंडार है औरत
शिक्षा का सार है औरत
धड़कते दिलों की पहचान है औरत
नव युग का निर्माण है औरत ।
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सरला जी आपकी रचना पढकर प्रसाद जी की याद आ गयी | "नारी तुम केवल श्रद्धा हो |" सचमुच आपने नारी को बहुत अच्छी तरह से समझा है | कविता के माध्यम से आपने औरत के गुणों को बड़े आदर और गौरव से उसका जो सम्मान किया है | रचना में मार्मिकता और एक विशेष संदेश है | बहुत ही स्तरीय विचार है | श्याम त्रिपाठी -हिन्दी चेतना
ReplyDelete👌👌👌👌
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना...बधाई सरला जी।
ReplyDeleteबधाई हो सरला जी |सच है बिना औरत संसार अधूरा है सब कुछ है औरत |
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति ।बधाई सरला जी।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना है सरला जी ! सहज साहित्य परिवार में अापका हार्दिक स्वागत है
ReplyDeleteसुन्दर सृजन , बधाई !
ReplyDeleteसुन्दर सरस लेखन।बहुत बहुत बधाई।
ReplyDeleteप्रासंगिक विषय पर सुन्दर लेखन।
ReplyDeleteप्रासंगिक विषय पर सुन्दर लेखन।
ReplyDeleteसरस अभिव्यक्ति
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ReplyDeleteबहुत प्यारी रचना...बहुत-बहुत बधाई सरला जी !!
इस प्यारी रचना के लिए बहुत बहुत बधाई सरला जी...|
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