शारदा सैनी
मैं ढूँढू तुझको मेरे पिया,
कही नजर ना आवे गए कहाँ,
मेरा मनवा तरसै।
मेरी अँखियाँ बरसै।
तू मन से मुझको देख जरा ,
तेरे पिया यहीं, नहीं गए कहीं,
क्यूँ तेरा मनवा तरसै।
क्यूँ तेरी अँखियाँ बरसै।
बागों में जाकर ढूँढ लिया,
माली से मैंने पूछ लिया,
माली ने किया इंकार पिया,
हो मेरा मनवा तरसै।
हो मेरी अँखियाँ बरसै।
तालों पर जाकर ढूँढ लिया,
धोबी से मैंने पूछ लिया,
धोबी ने किया इंकार पिया,
हो मेरा मनवा तरसै।
मेरी अँखियाँ बरसै।
कुएँ पर जाकर ढूँढ लिया,
पनिहारी से भी पूछ लिया,
पनिहारी ने किया इंकार पिया,
हो मेरा मनवा तरसै।
मेरी अँखियाँ बरसै।
मंदिर में जाकर ढूँढ लिया
पुजारी से भी पूछ लिया
पुजारी ने किया इंकार पिया
हो मेरा मनवा तरसै
मेरी अँखियाँ बरसै
जब मिला नहीं कहीं तेरा पता
फिर खुद से ही मैंने पूछ लिया
मन मंदिर भीतर मिले पिया
हो मेरा मनवा तरसै।
मेरी अँखियाँ बरसै।
बहुत सरस ,सुंदर रचना ने मन मोह लिया, हार्दिक बधाई!!
ReplyDeleteसरल, सहज भाषा में सुंदर सरस भावाभिव्यक्ति।बधाई
ReplyDeleteलोकगीतों की शैली में लिखा हुआ सुंदर सरस् गीत,सहज अभिव्यक्ति।शारदा सैनी जी को बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteइस रचना को पढ़ कर इनके लिए साधुवाद ही कहा ज सकता है और करतल ध्वनि से
ReplyDeleteइनका स्वागत किया जा। सकता है । बधाई स्वीकारें ।
सहज एवम सरस रचना हेतु हार्दिक बधाई। अपनई लेखन यात्रा जारी रखिए। स्वागत एवं शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर सहज भाव
ReplyDeleteयूँ ही अनवरत लिखती रहें ।
हार्दिक बधाई
Bahut sundar likha hai bahut bahut badhai...
ReplyDeleteसुंदर सहज रचना के लिए शारदा सैनी जी को बहुत-बहुत बधाई।
ReplyDeleteवाह, सुंदर पारम्परिक रचना। बधाई।
ReplyDeleteग्रामिण परिवेश में रचा यह लोक गीत सच्चे मन की सुन्दर अभिव्यक्ति है ।बधाई शारदा जी
ReplyDeleteकितने प्यारे भाव हैं...बहुत अच्छा लगा पढ़ के...हार्दिक बधाई...|
ReplyDeleteआप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया। ��
ReplyDeleteशारदा सैनी आपको हृदय से बधाई इतनी सुंदर रचना रचित करने के लिए | आपके पास तो मीरा का हृदय है ; जायसी की कल्पना है ; सूर जैसी अनुपम भक्ति है | इसे देखकर मुझे पूरा विश्वास हो गया है कि आपका भविष्य उज्ज्वल है | मुझे तो बहुत ही प्रिय लगी | श्याम त्रिपाठी हिन्दी चेतना कैनेडा
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया त्रिपाठी जी।
Deleteबहुत ही प्यारे भाव..हृदय-तल से बधाई इस सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए... आपके लेखन की खूबसूरत यात्रा हमेशा चलती रहे
ReplyDeleteसैनी जी !!!
बिछोह और मिलन की उहोपोह लिए कोमल रचना हेतु आपको बधाई शारदा जी । आपकी रचना निरंतर इस स्नेहिल पटल पर आती रहे ,शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteहार्दिक बधाई शारदा जी... अच्छी रचना
ReplyDeleteआपकी और रचनाओं की प्रतीक्षा रहेगी