1-मधु की आस
डॉ.कविता भट्ट
अधर छूकर भी कंठ न कभी सींच सका,
उसी प्याले से मुझे मधु की आस रही ।
वो मुझमें खोजता रहा हर पल देवी,
मुझे उसमें बस इंसाँ
की तलाश रही ।
मेरे भीतर रहकर भी जो साथ न था
मेरी धड़कन उसी के आस -पास
रही ।
मुस्कुराने के सौ बहाने दुनिया में
फिर भी नम हुई आँखें , मैं उदास रही ।
-0-
2- ज़िन्दगी
प्रियंका गुप्ता
ज़िन्दगी
कोई ख़त नहीं होती
जिसे
किसी एक के नाम लिखा जाए
अनगिनत पन्नों वाली
बस पलटते जाना;
जब लगे
कहानी ख़त्म है
जोड़ देना उसमें
कुछ नए सफ़े
हर्फ़- ब- हर्फ़
लफ्ज़ -ब- लफ्ज़
बढ़ती जाती है कहानी
नए नए पात्रों के साथ;
सुनो!
ज़िन्दगी को बस पढ़ते जाना
जब तक कि
कहानी अपने अंजाम तक न पहुँचे ।
-0-
(सभी चित्र गूगल से साभार )
Dono rachnayen bahut payari hain dono rachnakaron ko meri bahut bahut shubhkamnayen
ReplyDeletedono kavitayen bahut hi bhavpoorn ....
ReplyDeletesundar kavitayen
Purva Sharma
बहुत सुंदर दोनों रचनाएँ
ReplyDeleteसुन्दर रचनाएं|कविता भट्ट की 'अधर छूकर' बहुत ही मार्मिक व सुन्दर कविता है | बधाई | सुरेन्द्र वर्मा |
ReplyDeleteशुक्रिया भावना जी, पूर्वा और अनीता...।
ReplyDeleteकविता जी, आपकी रचना मन की ज़मीन को अपने भावों से नम कर गई...। बहुत तकलीफ़देह होता है किसी ऐसे अपने से कोई आस लगाना जिसे न उस बात की समझ हो और न परवाह...।
मेरी बहुत बधाई ।
प्रियंका जी आभार, आपकी रचना भी बहुत अच्छी है। वआआह।
Deleteबहुत ख़ूब , सुन्दर रचना
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (16-06-2018) को "मौमिन के घर ईद" (चर्चा अंक-3003) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुंदर दोनों रचनाएँ
ReplyDeleteसुंदर रचनाओं के लिए दोनों रचनाकारों को हार्दिक बधाई🙏🙏🙏🌷🌷🌷
ReplyDeleteआप सभी आत्मीय जनों का हार्दिक धन्यवाद. भविष्य में भी स्नेह की प्रत्याशा/
ReplyDeleteदोनों प्रस्तुति बहुत प्रभावशाली। शुभकामनाएँ
ReplyDeleteभावपूर्ण , बहुत सुन्दर रचनाएँ !
ReplyDeleteबहुत बधाई दोनों रचनाकारों को !!
Deleteबहुत सुन्दर सृजन ...दोनों रचनाकारों को हार्दिक बधाई !!