पथ के साथी

Wednesday, July 11, 2018

829


शारदा सैनी

मैं ढूँढू तुझको मेरे पिया,
कही नजर ना आवे गए कहाँ,
मेरा मनवा तरसै।
मेरी अँखियाँ बरसै।

तू मन से मुझको देख जरा ,
तेरे पिया यहीं, नहीं गए कहीं,
क्यूँ तेरा मनवा तरसै।
क्यूँ तेरी अँखियाँ बरसै।

बागों में जाकर ढूँढ लिया,
माली से मैंने पूछ लिया,
माली ने किया इंकार पिया,
हो मेरा मनवा तरसै।
हो मेरी अँखियाँ बरसै।

तालों पर जाकर ढूँढ लिया,
धोबी से मैंने पूछ लिया,
धोबी ने किया इंकार पिया,
हो मेरा मनवा तरसै।
मेरी अँखियाँ बरसै।

कुएँ पर जाकर ढूँढ लिया,
पनिहारी से भी पूछ लिया,
पनिहारी ने किया इंकार पिया,
हो मेरा मनवा तरसै।
मेरी अँखियाँ बरसै।

मंदिर में जाकर ढूँढ लिया
पुजारी से भी पूछ लिया
पुजारी ने किया इंकार पिया
हो मेरा मनवा तरसै
मेरी अँखियाँ बरसै

जब मिला नहीं कहीं तेरा पता
फिर खुद से ही मैंने पूछ लिया
मन मंदिर भीतर मिले पिया
हो मेरा मनवा तरसै।
मेरी अँखियाँ बरसै।

17 comments:

  1. बहुत सरस ,सुंदर रचना ने मन मोह लिया, हार्दिक बधाई!!

    ReplyDelete
  2. सरल, सहज भाषा में सुंदर सरस भावाभिव्यक्ति।बधाई

    ReplyDelete
  3. लोकगीतों की शैली में लिखा हुआ सुंदर सरस् गीत,सहज अभिव्यक्ति।शारदा सैनी जी को बहुत बहुत बधाई

    ReplyDelete
  4. इस रचना को पढ़ कर इनके लिए साधुवाद ही कहा ज सकता है और करतल ध्वनि से
    इनका स्वागत किया जा। सकता है । बधाई स्वीकारें ।

    ReplyDelete
  5. सहज एवम सरस रचना हेतु हार्दिक बधाई। अपनई लेखन यात्रा जारी रखिए। स्वागत एवं शुभकामनाएँ।

    ReplyDelete
  6. बहुत ही सुंदर सहज भाव
    यूँ ही अनवरत लिखती रहें ।
    हार्दिक बधाई

    ReplyDelete
  7. Bahut sundar likha hai bahut bahut badhai...

    ReplyDelete
  8. सुंदर सहज रचना के लिए शारदा सैनी जी को बहुत-बहुत बधाई।

    ReplyDelete
  9. वाह, सुंदर पारम्परिक रचना। बधाई।

    ReplyDelete
  10. ग्रामिण परिवेश में रचा यह लोक गीत सच्चे मन की सुन्दर अभिव्यक्ति है ।बधाई शारदा जी

    ReplyDelete
  11. कितने प्यारे भाव हैं...बहुत अच्छा लगा पढ़ के...हार्दिक बधाई...|

    ReplyDelete
  12. आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया। ��

    ReplyDelete
  13. शारदा सैनी आपको हृदय से बधाई इतनी सुंदर रचना रचित करने के लिए | आपके पास तो मीरा का हृदय है ; जायसी की कल्पना है ; सूर जैसी अनुपम भक्ति है | इसे देखकर मुझे पूरा विश्वास हो गया है कि आपका भविष्य उज्ज्वल है | मुझे तो बहुत ही प्रिय लगी | श्याम त्रिपाठी हिन्दी चेतना कैनेडा

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया त्रिपाठी जी।

      Delete
  14. बहुत ही प्यारे भाव..हृदय-तल से बधाई इस सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए... आपके लेखन की खूबसूरत यात्रा हमेशा चलती रहे
    सैनी जी !!!

    ReplyDelete
  15. बिछोह और मिलन की उहोपोह लिए कोमल रचना हेतु आपको बधाई शारदा जी । आपकी रचना निरंतर इस स्नेहिल पटल पर आती रहे ,शुभकामनाएं ।

    ReplyDelete
  16. हार्दिक बधाई शारदा जी... अच्छी रचना

    आपकी और रचनाओं की प्रतीक्षा रहेगी

    ReplyDelete