1-बेपनाह मोहब्बत
डॉ सुषमा गुप्ता
सुनो न ...
बेइंतहा मोहब्बत है तुमसे
इबादत हो मेरी ...
साँसों का सार ...
जिंदगी का ज़रिया ...
दिलों जाँ हो मेरी ।
सुनो देखो ....
न न ...
इनकार न करना ...
बस यही न ले पाऊँगा मैं ...
और तो तेरे सब नखरे
सिर माथे पर मेरी जाँ....
बस प्यार से रिहाई न
दे पाऊँगा मैं ....
सुनो अब....
बहुत हो चुका तुम्हारा...
यूँ इस कदर
ठुकरा नही सकती हो तुम....
ठीक है तुमको न सही
और कभी थी भी नही ....
पर मैं इस दिल का क्या करूँ ?
मेरा जुनून तुम..
जहान तुम...
ईमान तुम ...
भगवान तुम...
सुनो मत जाओ न ...
अच्छा !!!
फिर सोच लो !!!!
देख लो !!!
आखिरी दफ़ा पूछ रहा हूँ !!!
तो नही मानोगी????
ठीक है .....
लो फिर .....
और .....
और अब .....
धुआँ ही धुआँ है
फिज़ाओं में ......
बेपनाह मोहब्बत का
और हर तरफ एक शोर
...............................
तेज़ाब....................
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2- कल रात
सुषमा धीरज
कल रात बहुत देर ढूँढती रही
सुना है जाने वाले तारा बन जाते है
कभी किसी .....और कभी किसी ....
तारे को तकती रही ...
कि तू आ जाए नज़र
किसी में शायद.....
एक अरसे से तुझको नही देखा ...
दिल चीखता है..
झिंझोड़ता है मुझको ...
करता है प्रहार मुझ पर
जाने कितने लगातार ....
बिलखता है बच्चों- सा
कहीं से बस ढूँढ लाऊँ तुझको ....
सब तर्क सब ज्ञान
व्यर्थ लगता है ....
और आ खड़ी होती हूँ
नीले आसमाँ के नीचे मैं भी ।
हाथ में लिए अपनी
कुछ व्यर्थ सी उपलब्धियाँ ....
क्यों कि जो तू नही तो कुछ नही ...
सच कुछ भी नही ....
सब बेमानी है...
यूँ तो दस्तूर निभाने को
हँस भी ली....
मुबारकबाद भी बटोर लाई ....
और ला के पटक दी यूँ ही
घर के एक कोने में
ये नाम की खुशियाँ .....
और आज फिर चुपके से
खोल ली है तेरी तस्वीर .....
देने को तो हौंसला भी
दे ही देती हूँ उनको
जो जन्मदाता हैं हमारे.....
पर मेरी फितरत नही जाती
लड़ने की तुझसे ....
फिर ढूँढने लगती हूँ मैं
पागल- सी तुझको....
फिर खड़ी हो जाती हूँ
नीले आसमाँ के नीचे
पूछने को तुझको...
बड़ा तो तू था न ?????
ऐसे कैसे बड़ा कर गया तू मुझको????
क्यों बड़ा कर गया तू मुझको ????
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बहुत ही सुंदर रचनाएँ, दोनों ही। बधाई स्वीकार करें डॉक्टर सुषमा गुप्ता
ReplyDeleteबहुत भावप्रवण , सुन्दर रचनाएँ !
ReplyDeleteहार्दिक बधाई डॉ. सुषमा गुप्ता जी !!
उत्तम
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना। बधाई।
ReplyDeleteसुन्दर भाव प्रवाह की कवितायें हैं सुषमा जी । बधाई स्वीकारें ।
ReplyDeleteDono rachnaye bahut bhavpurn hardik badhai
ReplyDeleteपहली कविता में एकतरफ़ा प्यार को अस्वीकार करने के भयंकर परिणाम की सुंदर अभिव्यक्ति हेतु बधाई,दूसरी कविता यह जीवन और उसका अंत सिर्फ एक भटकन उसमें भी उलझे सवाल-मेरे हिसाब से | सुंदर .....
ReplyDeleteपुष्पा मेहरा
भावपूर्ण रचनाएँ सुषमा जी हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteसुकुमार भावों की मधुर अभिव्यक्ति !!
ReplyDeleteसादर बधाई !
सुंदर भाव उम्दा अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत सुंदर मनभावन सृजन सुषमा जी हार्दिक बधाई ।
ReplyDeleteदोनों रचनाएँ बहुत मर्मस्पर्शी हैं,मेरी बधाई सुषमा जी...|
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