संदली फिज़ाओं में पीपल की छाँव में काव्य-पाठ
दिनांक25 सितंबर2016,रविवार,वैशाली,गाजियाबादमें पूर्व की भाँति‘पेड़ों की
छाँव तले रचना पाठ’ की24वीं साहित्यिक गोष्ठी की विशेष प्रस्तुति‘कवयित्री
रचना पाठ – 2016’वैशाली सेक्टर चार स्थित हरे भरे मनोरम सेंट्रल पार्क में सम्पन्न हुई।हिन्दी साहित्य से सम्बन्धित अभिनव प्रयोग की यह शृंखला प्रत्येक माह के अंतिम रविवार को पूर्व निर्धारित कार्यक्रम अनुसार ही
मध्याह्न उपरांत 4:00 बजे से प्रारम्भ हुई। इस बार की गोष्ठी का विषय ‘नारी अस्मिता व शक्ति स्वरूपा’ रहा जिसे महिला कवयित्री रचना पाठ
से नई ऊँचाइयाँ प्राप्त हुईं।
इस अवसर पर स्थानीय
पार्षद नीलम भारद्वाज द्वारा सभी प्रतिभागियों को
प्रमाण पत्र व भेंट स्वरूप पुस्तकें प्रदान की गईँ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ वरुण कुमार गौतम व संचालन अवधेश सिंह(संयोजक) ने किया।

आमंत्रित कवयित्रियों में प्रमुख रूप से अंजू सुमन साधकने दोहे पढ़े ‘ममता की अब हो गई है ये कसी शक्ल / मात -पिता करने लगे,आरुषियों के कत्ल। मनजीत कौर 'मीत' ने गीत ‘माँ दिल
डरता है अब तो,सुन खबरे बदकारों की,कोमल कमसिन तू क्या जाने नजरें इन मक्कारों की’ सुनाया।सुनीता पाहूजा ने कहा- ‘मुझे पंख
देकर उड़ना सिखाया तुमने, छू लूँ आसमान
ये हौसला दिलाया तुमने,अब मेरी इन ऊँचाइयों से डरना न
तुम,अब मेरे ये पंख देखो कतरना न तुम;’
डॉ जेन्नी शबनम ने अपनी कविता शीर्षक 'झाँकती खिड़की' से सुनाया-‘पर्दे की ओट से / इस तरह झाँकती है खिड़की / मानो कोई देख न ले / मन में आस भी / और चाहत भी / काश कोई देख ले;’ का भावपूर्ण पाठ कर श्रोताओं को प्रभावित किया और वाहवाही लूटी।
डॉ जेन्नी शबनम ने अपनी कविता शीर्षक 'झाँकती खिड़की' से सुनाया-‘पर्दे की ओट से / इस तरह झाँकती है खिड़की / मानो कोई देख न ले / मन में आस भी / और चाहत भी / काश कोई देख ले;’ का भावपूर्ण पाठ कर श्रोताओं को प्रभावित किया और वाहवाही लूटी।

विशेष आमंत्रित
विशिष्ट कवियों में सर्वश्रीअनिल पाराशर 'मासूम',मृत्युंजय
साधक,शिव नन्द 'सहयोगी', देवेन्द्र,देवेश,अरुण कुमार राय,मनोज दिवेदी,अमर आनन्द,कैलाश खरे,अवधेश निर्झरआदि रहे।इस अवसर पर सर्व श्री रतल लाल गौतम,कपिल देव नागर,दयाल चंद्र,अश्विनी शुक्ल,छेदी लाल गौतम,धीरेन्द्र नाथ तिवारी, शत्रुघ्न
प्रसाद,महेश
चन्द्र,रति राम सागर,कैलाश पाण्डेय,नारायण सिंहआदि प्रबुद्ध श्रोताओं ने रचनाकारों के उत्साह को बढ़ाया।
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सफ़ल कार्यक्रम के आयोजकों व प्रतिभागियों को बहुत-बहुत बधाई । मुझे कार्यक्रम की विस्तृत रिपोर्ट पढ़ कर बहुत अच्छा लगा । सबको बधाई ।
ReplyDeleteसफ़ल कार्यक्रम के आयोजकों व प्रतिभागियों को बहुत-बहुत बधाई । मुझे कार्यक्रम की विस्तृत रिपोर्ट पढ़ कर बहुत अच्छा लगा । सबको बधाई ।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद व बधाई। सहभागिता के लिये आभार - अवधेश सिंह
ReplyDeleteसुनियोजित कार्यक्रम के लिए अवधेशजी एवं वरुण सर को बहुत -बहुत बधाई। कार्यक्रम की विस्तृत रिपोर्ट के प्रस्तुतीकरण के लिए अग्रज रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' को आभार और सभी प्रतिभागियों को बधाइयाँ एवं शुभकामनाएँ
ReplyDeleteसुन्दर, सफल आयोजन के लिए आयोजकों और प्रतिभागियों को बहुत-बहुत बधाई !
ReplyDeleteकार्यक्रम की विस्तृत रिपोर्ट और संलग्न चित्रों ने जैसे वहीं पहुंचा दिया |
आदरणीय काम्बोज भाई जी का बहुत-बहुत आभार !!
निःसंदेह ऐसी प्रस्तुति इस तरह के और भी आयोजन की प्रेरणा देगी |
बहुत शुभ कामनाओं के साथ-
ज्योत्स्ना शर्मा
सुन्दर, सफल आयोजन के लिए आयोजकों और प्रतिभागियों को बहुत-बहुत बधाई !
ReplyDeleteबहुत सुंदर कार्यक्रम आयोजकों और सभी प्रतिभागियों को हार्दिक बधाई
ReplyDeleteसफल आयोजन के लिए आयोजकों और प्रतिभागियों को हार्दिक बधाई|
ReplyDeleteप्रकृति के सानिंध्य में सभी नामचीन कवयित्रियों के द्वारा सफल सम्मेलन । सभी प्रबुद्धजनों को मेरी शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteसुन्दर मोहक प्रस्तुति ।
प्राकृतिक परिवेश में पेड़ों की छाँव तले काव्य पाठ बहुत ही आनन्ददायक रहा. आयोजनकर्ता को सफल आयोजन के लिए बधाई. उपस्थित सभी मित्रों का धन्यवाद. काम्बोज भाई ने इस कार्यक्रम के रिपोर्ट को यहाँ स्थान दिया दिल से आभार!
ReplyDeleteबेहतरीन आयोजन...सभी रचनाकारों ,श्रोताओं,संचालन मंडल को हार्दिक बधाई....
ReplyDeleteसभी रचनाकारों,पाठकों ,संचालन मंडल एवं विशिष्ट अधिकारियों को सफल कार्यक्रम की हार्दिक बधाई
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद व बधाई।
ReplyDeletekvita path kii tulnaa Tagore ke shanti Niketan kiiyaad kraatii hai. Yah baat huyyi na!. pratriti ke anchal me kavya path karna ek nayaa aand detaa hai . Amar rahe yah Kavishala, Bachchn bhii kbhii likha karte thay apnii madhushala. Abbad Rahen pdhne vale aavad rahe yah Kavishaala. Shiam Tripathi -Hind Chetna
ReplyDeleteआयोजकों औऱ सभी रचनाकारों,श्रोताओं को सफल कार्यक्रम के लिए हार्दिक बधाई....
ReplyDeleteसाहित्यिक गोष्ठी, वह भी पीपल की छाँव तले, सोचकर ही मन में प्रकृति के सानिध्य में होने वाले एक सुंदर आयोजन का आभास होता है ! इस रिपोर्ट एवं तस्वीरों से गोष्ठी की सफलता का भी एहसास हुआ ! संचालकों एवं सभी प्रतिभागियों को बहुत-बहुत बधाई एवं इसकी रिपोर्ट यहाँ साझा करने हेतु आ. भैया जी एवं बहन हरदीप जी का बहुत धन्यवाद !!!
ReplyDelete~सादर
अनिता ललित
वाह आपसी समन्वय व व्यर्थ की उपद्रवी भीड़ , वातानुकूलित हॉलों की परिधी से परे स्वच्छ वातावरण में वसुधा व माँ शारदे का आप सबको जो आशीर्वाद मिला उसके लिए आपको साधुवाद हार्दिक बधाई |
ReplyDeleteआयोजकों औऱ सभी रचनाकारों,श्रोताओं को सफल कार्यक्रम के लिए हार्दिक बधाई.. काश मैं भी भाग ले पाती ।वैशाली मेरे घर के पास भी पड़ता है।
ReplyDeleteसभी प्रतिभागियों को हार्दिक बधाई ।
सुन्दर, सफल आयोजन के लिए आयोजकों और प्रतिभागियों को बहुत-बहुत बधाई !
ReplyDeleteप्रकृति की छाँव तले ऐसे आयोजन होते रहने चाहिए...बहुत बधाई...|
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