सुनीता काम्बोज
तेरी प्यास मुझको तेरी आरजू
इधर तू ही तू है, उधर तू ही तू ।
मेरे श्याम सुंदर मेरे साँवरे
ये नैना तुम्हारें लिए बावरे
मुझे हर घड़ी है तेरी जुस्तजू ।
इधर...
ये चाहत है दिल की कभी बात हो
तुम्हारी हमारी मुलाकात हो
कभी तो मिलो और करो गुफ्तगू ।
इधर ....
निराशा में आशा कन्हैया बने
सुनीता सदा वो खेवैया बने
बचाते रहे तुम सदा आबरू ।
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कृष्ण प्रेम पगा बहुत सुंदर गीत सुनीता जी !
ReplyDeleteहार्दिक बधाई !!
सादर नमन आदरणीया बहुत बहुत शुक्रिया जी ...जय श्री कृष्णा
Deleteसुंदर गीत
ReplyDeleteअनिता बहन सादर धन्यवाद ..राधे राधे जी
Deletenice didiji very nice
ReplyDeleteसादर धन्यवाद सतीश भाई
Deleteरसमय अभिव्यक्ति वाआआआह
ReplyDeleteसादर नमन आदरणीय बहुत बहुत शुक्रिया जी ...जय श्री राम
Deleteसादर धन्यवाद .....जय श्री राधे
ReplyDeleteबहुत सुंदर गीत सुनीता जी !
ReplyDeleteहार्दिक बधाई !!