पथ के साथी

Thursday, August 25, 2016

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सुनीता काम्बोज

तेरी प्यास मुझको तेरी आरजू
इधर तू ही तू है, उधर तू ही तू

मेरे श्याम सुंदर मेरे साँवरे
ये नैना तुम्हारें लिए बावरे
मुझे हर घड़ी है तेरी जुस्तजू
इधर...

ये चाहत है दिल की कभी बात हो
तुम्हारी हमारी मुलाकात हो
कभी तो मिलो और करो गुफ्तगू
इधर ....
निराशा में आशा कन्हैया बने
सुनीता सदा वो खेवैया बने
बचाते रहे तुम सदा आबरू

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10 comments:

  1. कृष्ण प्रेम पगा बहुत सुंदर गीत सुनीता जी !
    हार्दिक बधाई !!

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    1. सादर नमन आदरणीया बहुत बहुत शुक्रिया जी ...जय श्री कृष्णा

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    1. अनिता बहन सादर धन्यवाद ..राधे राधे जी

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  3. nice didiji very nice

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  4. रसमय अभिव्यक्ति वाआआआह

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    1. सादर नमन आदरणीय बहुत बहुत शुक्रिया जी ...जय श्री राम

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  5. सादर धन्यवाद .....जय श्री राधे

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  6. बहुत सुंदर गीत सुनीता जी !
    हार्दिक बधाई !!

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