लोक-शैली ‘रसिया’
पर आधारित रमेशराज की दो तेवरियाँ
1
रमेशराज |
मीठे सोच हमारे, स्वारथवश कड़वाहट धारे
भइया का दुश्मन अब भइया घर के भीतर
है।
इक कमरे में मातम, भूख गरीबी अश्रुपात गम
दूजे कमरे ताता-थइया घर के भीतर है।
नित दहेज के ताने, सास-ननद के राग पुराने
नयी ब्याहता जैसे गइया घर के भीतर
है।
नम्र विचार न भाये, सब में अहंकार गुर्राए
हर कोई बन गया ततइया घर के भीतर है।
नये दौर के बच्चे, तुनक मिजाजी-अति नकनच्चे
छटंकी भी अब जैसे ढइया घर के भीतर
है।
2
खद्दरधरी पट्ठा, जन-जन के अब तोड़ें गट्टा
बापू के भारत में कट्टा देख सियासत
में।
तेरे पास न कुटिया, तन पर मैली-फटी लँगुटिया
नेताजी का ऊँचा अट्टा देख सियासत में।
तेरी मुस्कानों पर, रंगीं ख्वाबों-अरमानों पर
बाजों जैसा रोज झपट्टा देख सियासत
में।
खुशहाली के वादे, तूने भाँपे नहीं इरादे
वोट पाने के बाद सिंगट्टा देख सियासत
में।
-0-
परिचय रमेशराज
पूरा नाम-रमेशचन्द्र गुप्त
पिता- लोककवि रामचरन गुप्त
जन्म-15 मार्च 1954,
गाँव-एसी, जनपद-अलीगढ़
शिक्षा-एम.ए. हिन्दी, एम.ए.
भूगोल
सम्पादन-तेवरीपक्ष [त्रैमा. ]
सम्पादित कृतियाँ-1-अभी जुबाँ कटी नहीं,2. कबीर
जि़न्दा है ,3. इतिहास
घायल है,
4-एक प्रहारः
लगातार [ सभी तेवरी संग्रह ]
स्वरचित कृतियाँ-रस से संबंधित-1. तेवरी
में रससमस्या और समाधान 2-विचार और रस [ विवेचनात्मक
निबंध ] 3-विरोध-रस
4. काव्य की आत्मा और आत्मीयकरण
तेवर-शतक-लम्बी तेवरियाँ-1. दे लंका
में आग 2. जै कन्हैयालाल की 3. घड़ा
पाप का भर रहा 4. मन के घाव नये न
ये 5. धन का मद गदगद करे 6. ककड़ी
के चोरों को फांसी 7.मेरा हाल
सोडियम-सा है 8. रावण-कुल के लोग
9. अन्तर आह अनंत अति 10.
पूछ न कबिरा जग का हाल
शतक-1.ऊघौ
कहियो जाय [ तेवरी-शतक ] 2. मधु-सा
ला [ शतक ]3.जो गोपी
मधु बन गयीं [ दोहा-शतक ] 4. देअर इज
एन ऑलपिन [ दोहा-शतक ] 5.नदिया
पार हिंडोलना [ दोहा-शतक ] 6.पुजता
अब छल [ हाइकु-शतक ]
मुक्तछंद कविता-संग्रह-1. दीदी तुम नदी हो 2. वह यानी
मोहन स्वरूप
बाल-कविताएं- 1.राष्ट्रीय
बाल कविताएं
प्रसारण-आकाशवाणी मथुरा व आगरा से काव्य-पाठ
सम्मानोपाधि- ‘साहित्यश्री’, ‘उ.प्र. गौरव’, ‘तेवरी-तापस’, ‘शिखरश्री’
अभिनंदन-सुर साहित्य संगम [ एटा ] , शिखर
सामाजिक साहित्कि संस्था अलीगढ़
अध्यक्ष-1.सार्थक
सृजन [ साहित्यक संस्था ] 2.संजीवन
सेवा संस्थान ;सामाजिक सेवा
संस्था 3.उजाला शिक्षा एवं सेवा समिति [ सामाजिक
संस्था ]
पूर्व अध्यक्ष-राष्ट्रीय एकीकरण परिषद, उ.प्र.
शासन, अलीगढ़ इकाई
सम्प्रति-‘दैनिक जागरण’ से स्वतंत्र पत्रकार
के रूप में सम्बद्ध
सम्पर्क-15/109,
ईसानगर, निकट-थाना सासनी
गेट, अलीगढ़[ उ.प्र. ]
मोबा. 09634551630
-0-
रमेश राज जी ने तेवरी के विकास के लिए काफी कुछ किया है। आज तेवरी की कई शैलियों में वह रचना कर रहे हैं, जो उसे एक विधा सिद्ध करने में सहायक है। ये दोनों तेवरियाँ समाज की विसंगति पर तीखी टिप्पणी करती हैं।
ReplyDeleteहार्दिक आभार महादोषीजी
Deleteसामाजिक राजनितिक विषमताओं पर अच्छी रचनाएँ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार अनीता जी
Deleteबहुत खूब रमेश जी
ReplyDeleteहार्दिक आभार सिम्मी भाटिया जी
Deleteरमेश राज जी की दोनों तेवरियाँ बहुत आज की स्थिति को बयाँ कर रहीं हैं । बहुत सटीक व चटकीले अंदाज़ में बहुत खूब कही है खुशहाली के वादे, तूने भाँपे नहीं इरादे
ReplyDeleteवोट पाने के बाद सिंगट्टा देख सियासत में।
बहुत सुन्दर। बधाई ।
बहुत सुन्दर। बधाई ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार सुनीता जी
Deleteपहली बार तेवरियाँ पढ़ी ! अतिसुन्दर !
ReplyDeleteहार्दिक बधाई आ. रमेशचन्द्र गुप्त जी!
~सादर
अनिता ललित
हार्दिक आभार अनीता जी
Deleteरमेश जी की तेवरिया पढी अत्यधिक पसंद आयी तेवरिया पढ़ने का यह पहला अवसर है भविष्य में भी पढ़ने को मिलती रहें आशा करती हूँ । रमेश जी अनेक शुभकामनाएं और बधाई स्वीकारें ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार सविता जी
Deleteआ.रमेशराज जी,हार्दिक अभिनंदन
ReplyDeleteआपका यहाँ पर प्रथम साक्षात्कार बहुत ही प्रेरणास्पद है।
तेवरिया अँदाज में यथार्थ का उद्घाटन बेहतरीन हुआ है ।सामाजिक पक्ष के साथ-साथ राजनैतिक दाँव पेच को सरलता ,सरसता एवं रोचकता से आपने प्रस्तुत करके पाठक को तेवरिया पढ़ने एवं सीखने में विवश कर दिया।हार्दिक बधाई...आदरणीय...भविष्य में भी तेवरिया यूँही लिखते रहें,एवं पढ़ाते रहिएगा...आभार..
हार्दिक आभार डॉ.पूर्णिमा राय जी
Deleteपहली बार तेवरियाँ पढ़ने का अवसर मिला। मौजूदा हालातों का खुलासा करती दोनों तेवरियाँ बहुत ही बढ़िया।
ReplyDeleteहार्दिक बधाई आ० रमेशचन्द्र गुप्त जी।
हार्दिक आभार
Deleteचुटीले अन्दाज़ में प्रस्तुत की गई व्यंग्य की धार बहुत ही पैनी है... ये तेवरियाँ तो बस जानलेवा हैं, बस दिल में चुभने की देर है! बहुत खूब!!
ReplyDeleteहार्दिक आभार
DeleteBahut bhavpurn bahut bahut badhai...
ReplyDeleteहार्दिक आभार डॉ.भावना जी
Deleteआदरणीय रमेश जी बहुत उम्दा सार्थक सृजन के लिए हार्दिक बधाई.. आपकी लेखनी को सादर नमन
ReplyDeleteहार्दिक आभार सुनीता जी
Deleteआज पहली बार तेवरियाँ पढी...| बड़े सरल शब्दों में और रोचक ढंग से यथार्थ को प्रस्तुत कर दिया गया है | इस विधा के लिए आपका प्रयास निश्चय ही बहुत सराहनीय है | मेरी हार्दिक बधाई...|
ReplyDeleteहार्दिक आभार प्रियंका जी
Deleteआज पहली बार तेवरियाँ पढी। इस विद्या से मैं पूर्णता अन्जान हूँ पर आप की तेवरियाँँ पढ़ अर्थ की गहराई जरूर समझ आई। मेरी आप को हार्दिक बधाई।
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Deleteहार्दिक आभार सीमा जी
Deleteआ.रमेशराज जी,हार्दिक अभिनंदन ..उम्दा सृजन के लिए हार्दिक बधाई..
ReplyDelete...भविष्य में भी तेवरिया यूँही लिखते रहिएगा...आभार.. सादर नमन!!!
हार्दिक आभार ज्योत्सना जी
Deleteआ.रमेशराज जी बहुत अच्छे तेवरियाँ। चुटकी भरते तीखे व्यंग।बधाई
ReplyDeleteहार्दिक आभार आभा जी
Deleteहार्दिक आभार आभा जी
Deleteआज की स्थिति पर तंज कसती तीखी तेवरियाँ !
ReplyDeleteहार्दिक बधाई आदरणीय !!
हार्दिक आभार ज्योतिकलश जी
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