1-सुन लो कान्हा बात हमारी- योगेन्द्र नाथ शर्मा ‘अरुण’
हे नटनागर,कृष्ण,कन्हैया,रास रचैया,गोवर्धन धारी!
हे मन मोहन,राधा के प्रिय,हे मुरलीधर,
श्यामविहारी!!
सारे जग के पालक हो तुम, तुम्ही सभी कष्टों
के हर्ता,
फिरसे आओ यहाँ प्रभु तुम,सुनलो कान्हा बात
हमारी!
-0-
2- ओ कन्हैया !
गिरीश पंकज
पता नहीं किस नंदनवन में ,
भ्रमण कर रहे किसन-कन्हैया।
लेकर के अवतार प्रभु तुम,
आज बचा लो अपनी गैया।।
बढ़ते जाते असुर यहाँ पर,
देवों का हो गया पलायन।
'गीता' को सब भूल गए हैं ,
स्वार्थ का इकतरफा गायन।
कंस रूप धर कर के नाना,
करता मानो ता-ता- थैया।।
मुरली की धुन सुनकर तेरी,
गऊ माता इठलाती थी।
चारा चरती थी जंगल में,
और सुखी हो जाती थी।
आज कहाँ चारा-सानी अब ,
कचरा किस्मत में है भैया।
आ जाओ अब कान्हा मेरे,
'यमुना' का उद्धार करो।
एक नहीं अब कंस हजारों
वध करके उपकार करो।
गोकुल जैसा देश बना दो,
कहती है तुझसे हर मैया।
-0-
3-कुण्डलिया-अनिता ललित
भाई है तेरी शरण,
सुन लो आज पुकार
मुझको पार उतारना,
कान्हा मैं मँझधार
कान्हा मैं मँझधार,
न तुम बिन जग में कोई
छेड़ो ऐसी तान, रहूँ
मैं तुझमें खोई
मोर-मुकुट मुख सजे,
चपल मुस्कान लुभाई
भूलूँ सुख-दुख सभी,
निहारूँ छवि मनभाई !!
-0-
2
जब-जब फैला है तमस, तब-तब किया उजास ।
अपनों का जमघट, मगर; हो इक तुम ही पास॥
हो इक तुम ही पास, न दूजा और सहारा ।
तुम ही हो पतवार, बही जब आँसू-धारा ॥
मन कलुषित की हार, नयन में नेह लबाबब ।
धडकन बनी तरंग, मगन कान्हा में दिल जब !!
-0-
भक्ति भाव से भरी बहुत सुंदर , सामयिक रचनाएँ !
ReplyDeleteआदरणीय डॉ. योगेन्द्र नाथ शर्मा 'अरुण' जी,आ. गिरीश पंकज जी एवम् प्रिय सखी अनिता ललित जी को हार्दिक बधाई !!
सभी रचनाएँ मन मोहक!
ReplyDeleteसुंदर, भक्तिभाव से परिपूर्ण रचनाएँ! हर कोई आज कान्हा को पुकार रहा है... काश! कान्हा भी सुनें !
ReplyDeleteआ. डॉ. योगेन्द्र नाथ शर्मा 'अरुण' जी एवं आ. गिरीश पंकज जी को हार्दिक बधाई!
प्रिय सखी ज्योत्स्ना जी व अनिता ... आपका आभार !!
मेरी कुंडलियों को यहाँ स्थान देने के लिए सम्पादक द्वय का हार्दिक आभार!!!
~सादर
अनिता ललित
बहुत बढ़िया रचनाएँ !आदरणीय डॉ. योगेन्द्र नाथ शर्मा 'अरुण' जी,आ. गिरीश पंकज जी एवम् प्रिय सखी अनिता ललित जी को हार्दिक बधाई !!
ReplyDelete