पथ के साथी

Monday, March 7, 2016

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तेरा अपना अलग वजूद है।
भावना सक्सैना

किसी -सा होने की चाह क्यों
तेरा अपना अलग वजूद है।
तेरी अपनी जुदा हैं शक्तियाँ
हर हुनर तुझमें मौजूद है।
इस एक दिन में  है क्या धरा
तेरी जद्दोजहद हर रोज़ है।
तुझे लाँघने दरिया हैं कईं
जहां आग है, बारूद हैं,
तेरी राह लम्बी, तन्हा भी है
हर दिन में कई हैं रुकावटें
तू ज़िंदा अब तक इसलिए
कि  जज़्बा  तुझमे खूब है।
यही जज़्बा संग लिये तू चल
मंज़िल तेरी महबूब है।
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25 comments:

  1. सही कहा भावना जी नारी के अन्दर जो शक्तियाँ है ।वह उनसे अनविज्ञ रह कर सब कुछ झेलती रही । अब समय आ गया है उसे अपना वज़ूद पहचानने का ।बहुत अच्छी लगी कविता । शुभ कामनाये महिला दिवस पर नारी को जागृतकरने वाली कविता है ।बधाई।

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    1. धन्यवाद कमला जी, आपको भी अनंत शुभकामनाएं

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    2. धन्यवाद कमला जी, आपको भी अनंत शुभकामनाएं

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  2. बहुत सुन्दर कविता.... भावना जी बधाई!

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    1. धन्यवाद कृष्णा जी, आपको भी अनंत शुभकामनाएं

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    2. धन्यवाद कृष्णा जी, आपको भी अनंत शुभकामनाएं

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  3. बधाई भावना जी सुन्दर रचना हेतु
    सभी महिला मित्रों को जीवन पथ पर संघर्ष की विजयगाथा लिखने हेतु अनंत शुभकामनायें

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    1. धन्यवाद कविता जी, आपको भी अनंत शुभकामनाएं

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  4. Mahila diwas par sundar , sashkt rachana Bhavna Ji !
    Sabhi ko haardik badhaaii !

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    1. धन्यवाद ज्योत्सना जी, आपको भी अनंत शुभकामनाएं

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    3. धन्यवाद ज्योत्सना जी, आपको भी अनंत शुभकामनाएं

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  5. nari shakti ka avahan karti paktiyan, josh jagati hui sunder hain badhai .

    pushpa mehra

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  6. तू ज़िंदा अब तक इसलिए
    कि जज़्बा तुझमे खूब है
    सही कहा भावना जी!
    एक सकारात्मक सोच लिए बहुत ही सुन्दर कविता !
    भावना जी बधाई!

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  7. भावना जी महिलाओं की शक्ति से उनकी एक बार फिर पहचान कराने के लिए सुन्दर रचना के लिए बधाई ।

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  8. सुंदर, जोशभरी कविता !
    नारी की शक्ति... उसकी इच्छाशक्ति, उसके जज़्बे में ही निहित है !
    हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ भावना जी !!!

    ~सादर
    अनिता ललित

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  9. सुन्दर कविता भवना जी ,,,,बधाई

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  10. सुन्दर कविता भवना जी ,,,,बधाई

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  11. भावनाजी बहुत सुन्दर भावानाप्रधान रचना के लिए बधाई स्वीकारें

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  12. हर दिन में कई हैं रुकावटें
    तू ज़िंदा अब तक इसलिए
    कि जज़्बा तुझमे खूब है।
    यही जज़्बा संग लिये तू चल
    मंज़िल तेरी महबूब है।
    bahut sunder bahan
    badhai
    rachana

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  13. सुन्दर कविता ...हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ भावना जी !!!

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  14. बिलकुल सही बात...| हम स्त्रियों का भी अपना एक अलग वजूद है...| एक इंसान के रूप में हम भी अपनी कुछ खासियत रखते हैं, फिर भला किसी और जैसे बनने की इच्छा करनी ही क्यों हो...?
    बहुत सार्थक कविता...हार्दिक बधाई...|

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  15. सुन्दर कविता भावना, यकीनन नारी का अपना अलग वजूद है,
    और उस पर भी कोई शक नहीं कि जो जज़्बा तुम में ख़ूब है...........

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