संघर्ष तेरा बलशाली !
'महिला
दिवस' पर नारी की जिजीविषा को प्रकट करती दो रचनाओं के साथ
बहुत शुभ कामनाएँ !
1-पहाड़ की नारी !
- डॉ कविता भट्ट
लोहे का सिर और बज्र कमर संघर्ष तेरा
बलशाली
रुकती न कभी थकती न कभी तू हे पहाड़ की
नारी
तू पहाड़ पर चलती है हौसले लिए पहाड़ी
रूकती न कभी थकती न कभी तू हे पहाड़ की
नारी
चंडी-सी चमकती चलती है जीवन संग्राम है
जारी
रूकती न कभी थकती न कभी तू हे पहाड़ की
नारी
एक एक हुनर तेरे समझो सौ-सौ पुरुषों पर
भारी
रूकती न कभी थकती न कभी तू हे पहाड़ की
नारी
बुद्धि विवेक शारीरिक क्षमता तू असीम
बलशाली
रूकती न कभी थकती न कभी तू हे पहाड़ की
नारी
सैनिक की माता-पत्नी-बहिन तुझ पर हूँ
मैं बलिहारी
रूकती न कभी थकती न कभी तू हे पहाड़ की
नारी
समर्पित करती कविता तुमको शब्दों की ये
फुलवारी
रूकती न कभी थकती न कभी तू हे पहाड़ की
नारी
-0-दर्शनशास्त्र विभाग,हे न ब गढ़वाल विश्वविद्यालय
श्रीनगर गढ़वाल उत्तराखंड
-0-
2- निश्चय
- पुष्पा मेहरा
नारी मैं –
न कहो मुझसे ना, री !
उतरी
हूँ सागर में तो
पैठूँगी तलहटी में
खोजूँगी मुक्ता –
प्रवाल
खंगालूँगी सारा सागर
डूबूँगी नहीं
पर्वत बन निकलूँगी
अंधकार की कारा तोड़
किरण रथ चढूँगी
जड़ता ,अवरुद्धता
कट्टरता- धर्मान्धता की
नींवें हिला
बिगुल स्वाधिकार का
मैं स्वयं ही बजाऊँगी
सुरक्षा कवच आत्मरक्षा का
दान नहीं माँगूँगी,
मैं स्वयं बन जाऊँगी
दीवार आत्मबल की
सुदृढ़ बनाऊँगी
नीलाम्बर में छाऊँगी
पंछी बन उडूँगी
सूर्यप्रकाश सा फैलूँगी
अबला नहीं थी कभी
सबला थी
राख़ में दबी चिंगारी थी
पर अब मैं मशाल हूँ
राह बन बढूँगी
कोनों कोनों को छुऊँगी
सभी को राह दिखाऊँगी |
-0-
Pushpa
.mehra@gmail .com
anupam prastuti..
ReplyDeleteMere blog ki new post par aapke vichaar ka swagat hai...
Bahut sundar rachnayen..dono rachnakaron ko badhai...
ReplyDeletedono hi bahut bhavpurn kavitayen hai badhai
ReplyDeleterachana
महिला दिवस पर एक से बढकर एक नारी की जिजीविषा को व्यक्त करती कवितायें हैं ।कविता भट्ट और पुष्पा मेहरा जी बधाई स्वीकारें ।
ReplyDeletemahila divas ke avsar par mahilaon ke sundar sashakt roop ka chitran karti dono hi rachnayen bahut sundar hain. sabhi ko mahila divas ki bahut bahut badhai
ReplyDeleteManju Mishra
'एक-एक हुनर तेरे समझो सौ-सौ पुरुषों पर भारी' नारी शक्ति का बखान करती सुंदर भावाव्यक्ति हेतु कविता जी आपको बधाई |
ReplyDeleteपुष्पा मेहरा
दोनों रचनायें बहुत सुंदर हैं। रचनाकारों को मुबारक।
ReplyDeleteनारी के सशक्त रूप का अत्यंत सुंदर चित्रण करती दोनों रचनाएँ ! प्रेरक एवं भावपूर्ण!
ReplyDeleteकविता जी एवं पुष्पा जी... आप दोनों को हार्दिक बधाई !!!
~सादर
अनिता ललित
Bahut sundar rachnayen..PRERAK HONEN KE SAATH -SAATH BHAAV PRADHAAN BHEE ... AAP dono AADARNIY rachnakaron ko DIL SE badhai...
ReplyDeleteमहिला दिवस पर नारी के सशक्त रूप का चित्रण करती दोनों भावपूर्ण रचनाएँ !आप दोनों को हार्दिक बधाई |
ReplyDeleteकविता जी की हे पहाड़ की नारी और पुष्पा जी की नारी पर सुन्दर सशक्त कविता को पढ़कर नारी ह्रदय गदगद हुआ दोनों रचनाकारों को हार्दिक बधाई ।
ReplyDeleteबहुत सार्थक रचनाएँ...| हार्दिक बधाई...|
ReplyDeleteसुदृढ़ सार्थक कविताएँ।। नारी शक्ति की परिभाषा का बखान करती सुंदर रचनाएं।।
ReplyDeleteकविता जी आपके तो नाम में ही कविता है।
पुष्पा जी की प्रेरक रचना। आप दोनों को बधाई।।
सुदृढ़ सार्थक कविताएँ।। नारी शक्ति की परिभाषा का बखान करती सुंदर रचनाएं।।
ReplyDeleteकविता जी आपके तो नाम में ही कविता है।
पुष्पा जी की प्रेरक रचना। आप दोनों को बधाई।।