1-प्रियंका गुप्ता
मैंने
रिश्ते बुने थे
जाने कब वक़्त की सलाई से
एक फंदा गिरा
उधड़ती गई बुनाई
सोचती हूँ
फिर से बुनूँ रिश्ते
पर क्या
उसी डिज़ाइन का स्वेटर बन पाएगा
?
और
क्या पहले जैसी
अपनेपन से भरी
गर्माहट दे पाएगा?
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2-मिठाई ( लघुकथा)
( प्रभात प्रकाशन द्वारा सद्य प्रकाशित संग्रह से )
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2-मिठाई ( लघुकथा)
( प्रभात प्रकाशन द्वारा सद्य प्रकाशित संग्रह से )
डॉ रश्मि
भाई - दीदी ! मम्मी ने आपको मैसेज करने के लिए कहा है |
मम्मी कह रहीं हैं कि आप रक्षाबंधन पर घर ज़रूर आना |
बहन - क्यों ! तू नहीं चाहता कि मैं आऊँ ?
भाई - ऐसा क्यों कह रही हो आप ! मैं चाहता हूँ कि आप आएँ ....सच्ची
|
बहन - फिर ऐसा क्यों कहा कि ‘मम्मी ने कहा है’
भाई - आप मुझसे नाराज़ हैं न इसलिए | मुझे लगा कि शायद मेरे
बुलाने से आप न आएँ |
बहन - मैं तो रोज़ तुझे ऑनलाइन देखती थी और सोचती थी कि तू
आज बात करेगा ...आज बात करेगा | लेकिन तूने बात ही नहीं की |
भाई - तुमने भी तो नहीं की दीदी |
बहन - मुझे लगा कि तू नाराज़ है, पता नहीं मुझसे बात करेगा
कि नहीं |
भाई – सच में दीदी मुझे भी यही लगा कि तुम मुझसे नाराज़ हो | मैने उस दिन सबके सामने
तुम्हें पलटकर जवाब दे दिया था ...सॉरी दीदी L
बहन - कोई बात नहीं पगले ! तू मेरा भाई है | हम भाई-बहन के
अटूट रिश्ते से बंधे हुए हैं | लेकिन तुम्हें उम्र का लिहाज़ तो करना ही पड़ेगा मेरे
भाई | आखिर मैं तुमसे बड़ी हूँ |
तुम्हें सबके सामने मुझसे ऐसे बात नहीं करनी चाहिए थी | यदि
वही बात तुम मुझे अकेले में कहते, फिर चाहे बेशक लड़ ही क्यों न लेते, मुझे इतना
बुरा न लगता |
भाई - सॉरी दीदी
बहन - सुमित ! हम अपने आपस की बातें जितने अधिक लोगों के
बीच ले जाएँगे, हमारा रिश्ता उतना ही कमज़ोर होता जाएगा | मैं तुमसे उम्र में बड़ी
हूँ, इस नाते यदि तुम सबके सामने मुझे सम्मान दोगे तो तुम्हें भी सम्मान ही मिलेगा
|
भाई – आप एकदम सही कह रही हैं दीदी | बाद में मुझे भी बहुत पछतावा हुआ था | लेकिन
तब तक आप जीजू के साथ जा चुकीं थीं ...आय एम वैरी सॉरी दीदी |
बहन – अच्छा अब सॉरी बोलना बंद कर और बता कि मैं इस बार तेरे लिए कौन-सी मिठाई लाऊं
? ...और तू मुझे क्या गिफ्ट दे रहा है ?
( भाई रो पड़ा | काफी देर तक ऑनलाइन तो रहा लेकिन कुछ न लिख
सका | आज की व्हाट्सअप चैट ने दोनों के दिलों की नाराज़गी मिटा दी थी | ये चैट दोनों
को फिर करीब ले आई | )
बहन - सुमित !
तू कोई जवाब क्यों नहीं दे रहा ?
???
अब क्या हो गया ?
सुमित ???
भाई - कुछ नहीं दीदी | आज मेरे दिल का सैलाब आँखों के बाँध
पार कर गया | तुम बस जल्दी से आ जाओ | तुम्हारा भाई अपनी सूनी कलाई लिए बैठा
तुम्हारी राह ताक रहा है | तुम्हारा आना ही मेरे लिए दुनिया की ‘सबसे बैस्ट मिठाई’ है ...मिस यू दीदी |
बहन - ओह ! सुमित मिस यू टू मेरे छोटू | मैं जल्दी से आ रही
हूँ |
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अपनी कविता यहाँ देख कर बहुत अच्छा लगा...| आदरणीय काम्बोज अंकल के उत्साहवर्द्धन से कलम खुद-ब-खुद चलने लगती है...|
ReplyDeleteरश्मि जी...आपकी लघुकथा मन को बेतरह छू लेती है...| भाई-बहन का यह नाता दुनिया में सबसे अनोखा...सबसे अनमोल होता है...| बहुत बधाई...|
अपनी नई प्रकाशित किताब "WhatsApp की कहानियाँ" में से एक कहानी यराँ देखना बहुत सुखद है। धन्यवाद।
ReplyDeleteअपनी नई प्रकाशित किताब "WhatsApp की कहानियाँ" में से एक कहानी यराँ देखना बहुत सुखद है। धन्यवाद।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लघु कथा प्रियंका जी... सच तो यही है यदि एक बार रिश्तों का स्वेटर उधड़ जए तो गर्माहट के कुछ रोएं तो झड़ ही जाते हैं पर दोबारा बुन लेने से बची गर्माहट का कुछ आनन्द तो लिया ही जा सकता है।
ReplyDeleteरश्मि जी आपकी सीख भरी कहानी मन को छू गई। एक दम सही कहा...यदि हम एक-दूजे का लिहाज़ और सम्मान करना सीख लें तो रिश्ते कमज़ोर होने से बच जाते हैं।
बधाई आप दोनों को।
प्रियंका जी बहुत अनुभवी बात अपनी कविता के माध्यम से कही है आपने |डॉ रश्मि जी आपने भी अपनी इस लघुकथा में भाई बहन के रिश्ते में आपस में छोटी छोटी बातें हो जाती हैं जिससे मन मुटाव हो जाते हैं और कुछ समय बाद वे शिकवे दूर भी हो जाते हैं यही दर्शाया है अंत भला सब भला |आपको और प्रियंका जी को हार्दिक बधाई |
ReplyDeleteसुखद आभास दिलाती लघुकथा । प्रियंकाजी बहुत सुंदर कविता
ReplyDeleterishton ki sunder tulna ki hai fande se sahi bhi hai
ReplyDeleteaur laghukatha kamal ki hai sunder likha hai aapne bhai bahan karishta bahut hi sunder hota hai
badhai aapdono ko
rachana
सुन्दर शिक्षात्मक कहानी नई तकनीक में लिखी नया रूप रंग लेकर आई बहुत अच्छी लगी ।रशमी जी बधाई इस कहानी और पुस्तक के प्रकाशन की और नये साल की भी शुभ कामनाये भी स्वीकारें ।
ReplyDeleteप्रियंका जी आप की रचना भी पसन्द आई बधाई स्वीकारें ।
Man men bas gayi kashmika or laghukatha bahut bahut badhai
ReplyDeletedil ko choone wali kshanika evam laghukatha..........aap donon rachnakaaron ko haardik badhai saath hi pustak ke prakashan ke liye dheron shubhkaamnayen
ReplyDeleterashmi ji !
rashmi ji
दोनों रचनाएँ बढ़िया!
ReplyDeleteशुभकामनाएं...
शिक्षाप्रद कहानी व सुंदर कविता के लिए रश्मि जी व प्रियंका जी को बधाई|
ReplyDeleteपुष्पा मेहरा
मन को छूने वाली कविता तथा लघुकथा !
ReplyDeleteबहुत बधाई आप को प्रियंका जी एवं रश्मि जी!
पुस्तक प्रकाशन के लिए भी आपको हार्दिक बधाई रश्मि जी !
~सादर
अनिता ललित
गहरा अर्थ लिए कविता और भाव विभोर करती बहुत प्यारी लघुकथा ...
ReplyDeleteदोनों रचनाकारों को बहुत बधाई ! शुभकामनाएँ !!