पथ के साथी

Saturday, January 9, 2016

606



नवगीत
हे वर्ष नव
-डॉ.शिवजी श्रीवास्तव

काल के गतिमान रथ पर बैठकर
आ रहा है वर्ष नव।

करें अगवानी
उतारें आरती
और दें शुभकामनाएँ हम परस्पर
हास की, उल्लास की
मधुमास की
करें शुभ संकल्प सारे
प्रिय अभी
वक्त का रथ
लौटकर
आता नहीं है फिर कभी
क्या पता कब
काल हो शिव सम सदय
राह में मंगल बिखेरे
दे अभय
और कब हो रुष्ट
बनकर रुद्र
भीषण करे ताण्डव
मचे विप्लव।

चलो हम सब करें
मिलकर प्रार्थनाएँ
हँसें कलियाँ
और भौंरे गुनगुनाएँ
उड़ सकें आकाश में
निर्द्वंद्व चिड़ियाँ
बाज के दुःस्वप्न
उनको ना डराएँ
ग्रस न पाये
खिलखिलाती धूप को
आतंक का कोहरा
कर न पायें
आँधियाँ उन्माद की
रक्तिम धरा

हर दिशा में
हो छटा ऋतुराज की
मृदु समीरण चलें मंथर
गंध की ले पालकी
फले फूले वृक्ष पर हों
नीड़ सुंदर
चिरई-चिरवा कर रहे हों
केलि मनहर
भोर से ही चहचहाएँ
करें कलरव
इस तरह रहना बने
तुम वर्ष भर
नवल रथ पर आ रहे
हे वर्ष नव।
-0-
- 2,विवेक विहार मैनपुरी

Shivji Srivastava <shivjisri@gmailcom>

mob9412069692

-0-

2-क्षणिकाएँ- मंजूषा 'मन'
1
मन
ऊबा -ऊबा है
जाने क्या है जो
मन में चुभा है।
2
धड़कन
थमी -थमी -सी है
बार बार लगता है
जैसे कुछ कमी सी है।
3
दिल,
उदास बड़ा है
दिल के दरवाजे पे
दर्द खड़ा है।
4
प्यार,
देता है दगा
कहाँ हुआ कभी
प्यार किसी का सगा।
5
जीवन,
आसान नहीं जीना
जीना है तो सीखो
छुप -छुप आँसू पीना।
6
स्वप्न,
पलकों के भीतर
किरचें बन डसते
इन स्वप्नों में
हम हैं फँसते।
-0-
 

 

32 comments:

  1. शिव जी की सुन्दर कविता। मंजूशा जी की बहुत ही सुन्दर क्षणिकाऐ। सुरेन्द्र वर्मा।

    ReplyDelete
  2. शिव जी की सुन्दर कविता। मंजूशा जी की बहुत ही सुन्दर क्षणिकाऐ। सुरेन्द्र वर्मा।

    ReplyDelete
    Replies
    1. सम्मान्य डॉ.साहब हार्दिक आभार।

      Delete
  3. नव वर्ष की मंगलमय कामनाओं से भरा सुंदर नवगीत और सुंदर क्षणिकाएँ , दोनों रचनाकारों को बधाई |

    पुष्पा मेहरा

    ReplyDelete
  4. सुंदर नवगीत और सुंदर क्षणिकाएँ , दोनों रचनाकारों को बधाई |

    ReplyDelete
  5. सुंदर नवगीत और सुंदर क्षणिकाएँ , दोनों रचनाकारों को बधाई |

    ReplyDelete
  6. डॉ.शिव जी सुंदर नवगीत के लिए बधाई स्वीकार करें।
    मञ्जूषा जी अच्छी क्षणिकाएँ, बधाई।

    ReplyDelete
  7. सुन्दर ,सारगर्भित नवगीत और क्षणिकाओं के लिए दोनों रचनाकारों को हार्दिक बधाई !

    ReplyDelete
  8. मनभावन नवगीत के लिए डॉ.शिवजी को बहुत बधाई...|
    मंजूषा जी, आपकी क्षणिकाएँ बहुत मर्मस्पर्शी हैं...| हार्दिक बधाई...|

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार प्रियंका जी।

      Delete
  9. नव वर्ष पर शिव जी बहुत सुन्दर गीत लिखा । बहुत अच्छी लगी यह पंक्ति ... मृदु समीरण चले मंथर / गंध की ले पालकी।बधाई शुभकामनायें एवं नव वर्ष की सहज साहित्य के सभी साथियों को बधाई।
    मंजूषा मन जी क्षणिकायें भी बहुत पसंद आईं।सही कहा जीवन के बारे में ... आसान नहीं जीना/ जीना है तो सीखो / छुपछुप आँसू पीना । बहुत बहुत बधाई । कमला घटाऔरा ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. नवगीत की सराहना हेतु हार्दिक आभार

      Delete
  10. सुन्दर कविताएँ !
    मञ्जूषा जी की क्षणिकाएँ बेहद सरस, मनभावन लगीं
    दोनों रचनाकारों को शुभकामनाएं!

    ReplyDelete
  11. Bahut sundar hai sabhi rachnayen meri hardik badhai

    ReplyDelete
  12. डॉ शिवजी श्रीवास्तव जी और मंजूषा जी को हार्दिक बधाई .

    ReplyDelete
  13. बहुत प्यारा सार्थक सकारात्मक नवगीत...शिवजी सर को बहुत बधाई|
    मंजूषा मन जी की क्षणिकाएँ जिन्दगी के बेहद करीब...सुन्दर अभिव्यक्ति !सादर बधाई मंजूषा जी को !

    ReplyDelete
  14. सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार!
    नववर्ष की बधाई!

    मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...

    ReplyDelete
  15. सुंदर ,सार्थक मनभावन रचनाओं के लिए दोनों रचनाकारों को हार्दिक बधाई।

    ReplyDelete
  16. नव गीत और क्षणिकाएँ बहुत सुन्दर...आप दोनों रचनाकारों को हार्दिक बधाई।

    ReplyDelete
  17. सुंदर नवगीत और सुंदर क्षणिकाएँ , दोनों रचनाकारों को हार्दिक बधाई।

    ReplyDelete
  18. उड़ सकें आकाश में
    निर्द्वंद्व चिड़ियाँ
    बाज के दुःस्वप्न
    उनको ना डराएँ

    वर्तमान पीड़ा को जीते हुए सुंदर कल का आह्वान करते हुए बहुत ही प्रभावशाली नव गीत रचने के लिए डॉ शिवजी को बधाई !

    दिल,
    उदास बड़ा है
    दिल के दरवाजे पे
    दर्द खड़ा है।

    बहुत सुंदर क्षणिका। बधाई मंजूषा जी।

    ReplyDelete
  19. उड़ सकें आकाश में
    निर्द्वंद्व चिड़ियाँ
    बाज के दुःस्वप्न
    उनको ना डराएँ

    वर्तमान पीड़ा को जीते हुए सुंदर कल का आह्वान करते हुए बहुत ही प्रभावशाली नव गीत रचने के लिए डॉ शिवजी को बधाई !

    दिल,
    उदास बड़ा है
    दिल के दरवाजे पे
    दर्द खड़ा है।

    बहुत सुंदर क्षणिका। बधाई मंजूषा जी।

    ReplyDelete
  20. सुंदर नवगीत नव-वर्ष का !
    हार्दिक बधाई शिवजी श्रीवास्तव जी!
    मंजूषा जी, क्या कहें... निःशब्द हैं ! एक-एक शब्द भावनाओं की अद्भुत अभिव्यक्ति से सुसज्जित है !
    इस सुंदर सृजन के लिए आपको ढेरों बधाई !

    ~सादर
    अनिता ललित

    ReplyDelete