पूनम चन्द्रा‘मनु’
जल कर जो साया दे
वो दरख़्त हो
बच्चों की किताबों में
जो अपना बचपन ढूँढे
वो ‘उस्ताद’ हो तुम
पिता हो तुम.... पिता हो.......
दुनिया से लड़ने का...
रगों में खून बनकर बहने का
‘ज़ज्बा’ तुम हो ….
अपने खिलौनों को
हर वक़्त तराशने के लिए...
हाथों में गीली मिटटी लिये रहता है
वो ‘कुम्हार’ हो तुम
पिता हो तुम.... पिता हो.......
अपने अधूरे खवाबों को पूरा जीने के लिए ….
ख़ुद की नींद को …….बाँध कर जो फेंक दे
वो ‘हौसला’…….तुम हो
पिता हो तुम.... पिता हो.......
खुद से भी ज्यादा ऊँचाई से देख पाएँ …..इस दुनिया को....
इसलिए बच्चो को काँधों पर लिये फिरते हो
आने वाले कल की नीव रखने वाले
‘कारिन्दे’हो तुम………..
पिता हो तुम.... पिता हो.......
गर …….घर जन्नत है
तो उसका आसमाँ तुम हो
पिता हो तुम....पिता हो.......
किसी भी खानदान की बुनियाद
सिर्फ तुम हो
.......सिर्फ तुम !!
-0-
2-सावन से
कह दो
सावन से कह दो.....
इस बार बादलों पर
वो जो इन्द्रधनुष बनाए .....
उसमे तीन ही रंग भरें .....
वो तीन रंग...... जो हमारी पहचान
हैं.........
वो तीन रंग.......जो हमारी असलियत
हैं........
वो तीन रंग तिरंगे के ......
धरती के इस छोर से उस छोर तक बसने
वाले ....
हर भारतीय के ........आसमाँ पर ये
इन्द्रधनुष बना दिखाई दे......
जब ये इन्द्रधनुष बन जाए...
फिर...कुछ इस तरह .......बूँदे बरसाए ये बादल
के........
कभी लगे होली के रंग है
कभी लगे दिवाली की फूलझड़ी हैं
...
हर दिल रँग जाए . .. ... बस बसंती
रंग से....
देशप्रेम का ये इन्द्रधनुषी धागा
हर दिल को जोड़ रहा हो
हर भारतीय ने इसे मजबूती से पकड़ा
हो
इसी धागे को बुनकर हम.........
आज और आने वाला कल पहन लें
.........
दिखा दें इस दुनिया को के हम साथ
चलने में विश्वास रखतें हैं......
...हम भारतीय हैं
जहाँ खड़े हो जाएँ .......हम भारत
वहीँ बसा लेतें हैं..........
..दिखा दें के हम रँगना भी जानते
हैं....और रमना भी.....
कह दो उन हवाओं को जो नफ़रतों से
देखतीं है हमें
हमारे हौसलें ...... जलते भी हवाओं
से हैं ...
और ..भड़कते भी हवाओं से हैं
........
.......आओ दोस्ती का हाथ थाम कर
आगें बढ़ें ...
तुम भी जिंदा रहो ......हम भी ये
ज़िन्दगी जी लें.....
....आने वाली पुश्तों को कुछ तो दे
कर जाएँ ......
हो सकता है कल हम फिर खुद
......अपनी ही पुश्त बन कर आएँ..
.........इस धरती को खून की होली
नहीं .........खुशियों का सावन दें ....
.....सावन से कह दो के इस बार
बादलों पर जो वो ..... इन्द्रधनुष बनाये ......
उसमे तीन ही रंग भरें
वो तीन रंग जो हमारी पहचान है
वो तीन रंग हमारी असलियत है
-0-
3- घटाएँ पहनकर
साँवरी घटाएँ पहन कर जब भी आते
हैं गिरधर
....तो ......श्याम बन जाते हैं
बाँसुरी
अधरों का स्पर्श पाने को व्याकुल है ......
वो खुद
से ही कहती है .......
जाने अब
साँवरी घटाओं में क्या ढूँढ रहे है ....
राधिका
के आने तक मुझे ......क्यों नहीं सुन लेते ....
काफी गीत
याद किये है मैंने .........उनके लिए .....
एक मै ही
हूँ जो सदा साथ रहती हूँ
..तब ही
कुछ कहती हूँ .........जब वो सुनना चाहते हैं .........
पवन तुम
ही किंचित बहो ना
तुम्हारे
स्पर्श से ही वो मुझे हाथो में ले लेंगे .......
ये क्या
सावरी घटाओं से सूर्ये भी दर्शन देने लगे ....वो भी दर्शन के प्यासे हैं .........
ओह कितना
सुन्दर दृश्य है .............
स्वर्ण
जैसी किरणों ने श्याम को छुआ ........
और देखते
ही देखते
श्याम
साँवरे .............. ‘सलोने’ हो गए
....
ये
मनमोहक दृश्य सिर्फ मेरे लिए ..........
सिर्फ
मेरे लिए.........
-0-
4-आवाज़ दो हमें
4-आवाज़ दो हमें
उस
क्षितिज से आवाज़ दो
हमें कृष्ण
जहाँ
दिन और रात ढलते
नहीं
विलय
होते हों
आकाश
में उस सूर्य की
तरह उदित हो
जिसकी
ऊष्मा धरा पर
इन्द्रधनुष
-सा शृंगार करें
नेत्रों
को गहन चिन्तन का
विश्राम देकर
अधरों
को बाँसुरी का स्पर्श
दो
मुखड़े
पर मद्धम -सी
मुस्कराहट लेकर
वायु
को मोरपंख छूकर बहने
दो
वेद
मन्त्रों से गूँजती ध्वनि
का कोई छोर न
हो
धरा
-गगन सृष्टि
अब से बस कृष्णमय
हो !!
-0-
परिचय
नाम: पूनम चन्द्रा
'मनु'
जन्म: देहरादून
(उत्तरांचल) भारत
शिक्षा: एम.
ए. अंग्रेजी साहित्य (गढ़वाल
विश्वविद्यालय)
प्रकाशन: जज़्बात
(कविता संग्रह) सुलगते लम्हें (उपन्यास) हिन्दी टाइम्स कनाडा समाचार पत्र में धारावाहिक
के तौर पर
सम्मान :हिन्दी राइटर्स
गिल्ड स्वयंसेविका 2013
विशेष: हिन्दी राइटर्स
गिल्ड (टोरांटो) की सक्रिय सदस्य
व्यवसाय: वेबसाइट डिजाइनिंग,डेवलपमेंट एवं ग्राफ़िक डिजाइनिंग के क्षेत्र में
सम्प्रति: टोरांटो (कनाडा)
हार्दिक स्वागत पूनम। फिर इक बार बेहतरीन कविताओं को पढ़ कर पहले सी खुशी मिली। यूँही लिखती रहो। बहुत-बहुत बधाई।
ReplyDeleteधन्यवाद कृष्णा जी
DeletePoonam ji, sundar bhavaabhivykti. Bdhaai.
ReplyDeleteधन्यवाद शशि जी
Deleteप्रिय पूनम सुन्दर कवितायेँ है हार्दिक बधाई .यूँ ही भावों में गोते लगाकर मोती चुनती रहो.
ReplyDeleteधन्यवाद सविता जी
Deleteस्वागत | अच्छी भावना प्रधान कवितायेँ.
ReplyDeleteधन्यवाद डॉ. सुरेन्द्र वर्मा जी
Deleteसुन्दर रचनाएँ
ReplyDeleteधन्यवाद ओंकार जी
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ReplyDeleteबहुत सुंदर रचनाएँ हैं मनु जी बधाई |
पुष्पा मेहरा
धन्यवाद पुष्पा मेहरा जी
DeletePoonam ji, sundar bhavaabhivykti. Bdhaai.
ReplyDeleteधन्यवाद ज्योत्स्ना प्रदीप जी
Deleteमनु जी आपकी कविताएँ बहुत अच्छी लगी। हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteधन्यवाद अनीता मन्दा जी
Deleteअच्छा संग्रह पढ़ने को मिला। पूनम जी, बधाई।
ReplyDeleteधन्यवाद इन्दु जी
Deleteअच्छा संग्रह पढ़ने को मिला। पूनम जी, बधाई।
ReplyDeleteएक कसक सी लिए भावनाप्रधान सुंदर कविताएँ पढ़कर ख़ुशी हुई। बधाई मनु जी !
ReplyDeleteधन्यवाद सुशीला जी
Deleteएक कसक सी लिए भावनाप्रधान सुंदर कविताएँ पढ़कर ख़ुशी हुई। बधाई मनु जी !
ReplyDeleteएक कसक सी लिए भावनाप्रधान सुंदर कविताएँ पढ़कर ख़ुशी हुई। बधाई मनु जी !
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन रचनाएँ...| ढेरों बधाई...|
ReplyDeleteधन्यवाद, प्रियंका गुप्ता जी
Deleteअति सुन्दर रचनाएँ पूनम जी। बधाई
ReplyDeleteस्वागत आपका
सुन्दर भावाभिव्यक्ति ...हार्दिक बधाई !
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