1-एक शिकायत भागते समय से
कमला निखुर्पा
कमला निखुर्पा
समय,चलो ना संग मेरे
कहाँ छिपे हो तुम ?
साथ रहते हो हर पल
पर साथ क्यों नहीं चलते ?
हर बार हाथ छुड़ाकर
निकल जाते हो बेवफा की तरह ।
भागती रहती हूँ तुम्हारे पीछे
पर तुम हो कि...
पीछे मुड़कर देखते ही नहीं ।
हमेशा हार जाती हूँ रेस
जीवन के मैदान में ।
केवल इसलिए
कि तुम कभी पास होते ही नहीं ।
कि तुम कभी साथ देते ही नहीं ।
क्या पता
रिश्तों की भीड़ में
अनजाने से अपनों के संग।
कदम से कदम मिला कर चलने की नाकाम कोशिश
हो ना जाए भंग ।
बिखर ना जाए
नाजुक सा अस्तित्व...
केवल इसीलिए
पुकार रही कब से ...
कि ओ समय रे !
साथ चलो ना मेरे
जता सकूँ सबको
बता सकूँ सबको
हाँ समय है मेरे पास ।
आओ बैठो भी साथ
कह भी दो मन की बात ।
ख़त्म होंगे सारे शिकवे
समय चलो ना संग मेरे ।
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प्राचार्या
, केन्द्रीय विद्यालय नं 2, कृभको, सूरत ( गुजरात)
04 दिसंबर 2015
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ReplyDeleteकमला निखुर्पा जी, बहुत अच्छा लगा समय के साथ वार्तालाप। शिकायत भी मनुहार भी बधाई।
ReplyDeleteकमला जी सुंदर कविता के लिए बधाईं।
ReplyDeleteसुन्दर भावप्रवण रचना कमला जी ..हार्दिक बधाई !
ReplyDeleteआभार आप सबके स्नेह का .. आज ही देख पाई ..
ReplyDeleteआभार आप सबके स्नेह का .. आज ही देख पाई ..
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