1- आह्वान
डॉ•विद्याविन्दु सिंह
आह्वान हे बन्धु फिर से
कृण प्रेरित चीर का,
अन्याय के प्रतिकार में विकर्ण के स्वर का,
जो
आज के दु:शासनों, दुर्योधनों को
कर सकें परास्त
ताकि
देश फिर से बहन बेटियों का
करता रहे आदर।
-0-
2-हरी-
हरी पत्तियाँ
श्रीजा
पेड़ो की ये
हरी- हरी पत्तियाँ
तस्वीर है
ये मौसमों की
पेड़ मत काटो
हैं ये लज्जवासन
हमारी इस धरा
के,
हँस रही है
इसकी ये
डाली -डाली
झूम के
इन पेड़ो की
हत्या करके
बहुत पछताना
पड़ेगा
इस क़त्लेआम के बाद -
बोलो -फिर
किसकी गोद में सर छिपाओगे
उन्मुक्त हैं
हम और है बंदिशे
भी
बड़ी अजीब- सी
है फितरत भी
धूप में तपकर
सूखना भी
फिर नई आशा
की किरण भी
कि आसमान न
बरसे आग
अधिक बरसे
जल
खेत न बनें
मरुस्थल
ढकना होगा
वसुधा का तन
तभी कम होगी
हर गाँव नगर
की तपन ।
पेड़ों की हत्या
करने से
हरियाली के
दुश्मनों को
कब सुख मिल
पाया है
बचाने होंगे
दिन रात कटते
हरे भरे वन
तभी तो हर
डाल फूलों से महकेगी
चिड़िया चहकेगी
अम्बर में
उडकर
सन्देश सुनाएगी
हरियाली के
गीत गाएगी ।
-0-
खेत न बनेंमरुस्थल
ReplyDeleteढकना होगा वसुधा का तन
आज के दु:शासनों, दुर्योधनों को कर सकें परास्त।
दोनों कविताएँ बहुत सुंदर। विद्याविन्दुजी श्रीजाजी बधाई
Sundar rachnayen, badhai evam shubhkamana
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 18 सितम्बर 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
ReplyDeleteसुंदर कविताएँ !
ReplyDeleteआदरणीया विद्याविन्दु जी एवं श्रीजा जी को हार्दिक बधाई!
~सादर
अनिता ललित
sundar ,saarthak , sashakt prastuti !
ReplyDeletehaardik badhaii evam shubh kaamanayen !
sundar kavitayen !aadarniy rachnakaaron ko hriday se badhai !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविताएं। आप दोनों को बहुत बधाई।
ReplyDeleteडॉ विद्याविन्दु सिंह जी और श्रीजा जी, आप दोनों को सुन्दर भावाभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई |
ReplyDeletebahut achhi lagi rachnayen ahrdik badhai...
ReplyDeleteदोनों सुंदर सामायिक रचना है
ReplyDeleteबधाई
डॉ विद्याविन्दु जी और श्रीजा जी आप दोनों को सशक्त सामयिक रचना के लिए बहुत बधाई.
ReplyDeleteसार्थक व सशक्त रचनाओं के लिए आप दोनों को बधाई।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सार्थक कविताएँ...आप दोनों को हार्दिक बधाई...|
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