डॉ•ज्योत्स्ना शर्मा
सुनो पथिक तुम , हार न मानो
यूँ ठहर नहीं जाओ ।
जीवन पथ पर सबने चाहे
इच्छा-फल चखने
कुछ बोये अपनों ने, होते
कुछ केवल अपने
देकर श्रम की आँच ,सरस हों
ऐसे उन्हें पकाओ।
चित्रांकन : रमेश गौतम |
विषधर मिलते , मगर न संचित
गरल करो इतना
जीवन सुन्दर है ,तुम इसको
सरल करो जितना
मधुर राग को सहज बजाओ,
मुश्किल नहीं बनाओ ।
कण-कण रचा सृजक ने, हितकर,
हर हीरा-तिनका
रूठें न ऋतुएँ थोड़ा-सा
मान करो उनका
लालच की लाठी ले ,सजती
बगिया नहीं मिटाओ ।
केवल अपना ही दुनिया में
सबने सुख चाहा
ग़ैरों की पीड़ा पर रोकर
जो रखता फाहा
उस पथ के हों पथिक, नयन में
ऐसे स्वप्न सजाओ ।
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sunder aur sargarbhit rachna !!
ReplyDeleteकेवल अपना ही दुनिया में
ReplyDeleteसबने सुख चाहा
ग़ैरों की पीड़ा पर रोकर
जो रखता फाहा
उस पथ के हों पथिक, नयन में
ऐसे स्वप्न सजाओ….बहुत सुन्दर नवगीत है ज्योत्सना !
sundar navgeet!
ReplyDeleteइस प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत आभार अनुपमा जी और भैया जी !
ReplyDeleteसादर
ज्योत्स्ना शर्मा
सुनो पथिक तुम , हार न मानो
ReplyDeleteयूँ ठहर नहीं जाओ ।
वाह...सुन्दर सकारात्मक संदेश देता मनभावन नवगीत|
बहुत बधाई ज्योत्सना जी को !!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी है और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा - शुक्रवार- 27/03/2015 को
ReplyDeleteहिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः 45 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें,
केवल अपना ही दुनिया में
ReplyDeleteसबने सुख चाहा
ग़ैरों की पीड़ा पर रोकर
जो रखता फाहा
उस पथ के हों पथिक, नयन में
ऐसे स्वप्न सजाओ । बहुत सुन्दर,सकारात्मक रचना | बधाई ज्योत्स्ना जी |
बहुत ही सुन्दर सार्थक प्रेरक गीत |
ReplyDeleteबधाई ज्योत्स्ना दी :)
सकारात्मक संदेश देता हुआ बहुत ही ख़ूबसूरत गीत... सखी ज्योत्स्ना जी !
ReplyDeleteबहुत-बहुत बधाई आपको !
~सादर
अनिता ललित
बहन डॉ ज्योत्स्ना जी ! आपकी एक -एक पंक्ति दिल को छू गई । अच्छी कविता वही है , जो पढ़ने वाले को अपने साथ जोड़ ले । खास तौर से ये पंक्तियाँ बहुत बड़ा सन्देश लिये हुए हैं-
ReplyDeleteकेवल अपना ही दुनिया में
सबने सुख चाहा
ग़ैरों की पीड़ा पर रोकर
जो रखता फाहा
उस पथ के हों पथिक, नयन में
ऐसे स्वप्न सजाओ ।
दिल को स्पर्श करती एक एक पंक्तियां। बहुत खूबसूरत गीत।
ReplyDeletejyotsna ji navgeet ki ek-ek pankti suder hai .badhai.
ReplyDeletepushpa mehra.
navgeet bahut achha laga bahut bahut badhai....
ReplyDeleteकेवल अपना ही दुनिया में
ReplyDeleteसबने सुख चाहा
ग़ैरों की पीड़ा पर रोकर
जो रखता फाहा
उस पथ के हों पथिक, नयन में
ऐसे स्वप्न सजाओ ।bahut khoobsurat,,,jyotsna ji ko badhai ke saath -saath sadar naman .
बहुत सुन्दर और प्रेरक नवगीत है...हार्दिक बधाई...|
ReplyDeleteआपकी प्रेरक प्रतिक्रियाएँ ,स्नेह और आशीर्वाद मेरे लेखन की ऊर्जा है , अनमोल है मेरे लिए !
ReplyDeleteईश्वर से प्रार्थना करती हूँ कि आपका यह सहृदय भाव मुझ पर सदा बना रहे ...
बहुत- बहुत आभार और नमन के साथ
ज्योत्स्ना शर्मा