सीमा स्मृति की
दो कविताएँ
1-फीकी मुस्कान
फीकी –सी धूप
ठीक उस फीकी सी मुस्कान-सी
जो सिमट जाती है, माँ के चेहरे पर
करती बेस्ट ऑफ लक
जवान बेटे को,हर रोज नया इण्टरव्यू
देने जाते वक्त ।
वो फीकी मुस्कान
शादी के इश्तिहारों में खोजती
बेटी का भविष्य ।
वो फीकी मुस्कान
रिटायर पति को देती दिलासा
देख बैंक पास बुक का बैलेंस ।
जिन्दगी जीने की
नसीहतें!उपाय,!आइडिया!
टेलीविजन के चैनलों पर देख
सिमट जाती है ‘वही फीकी
मुस्कान’
काश जिन्दगी होती इतनी ही आसान
।
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2-खोज
मिश्री -से मीठे,
निबौरी से कड़वे,
कैक्टस से कटीले,
फाहे से सोखते दर्द,
रेत से सरकते,
दलदल से खींचते,
दिन से उजले,
अमावस्या की रात से घनेरे,
गोंद से लिजलिजे,
हवा से हल्के,
एहसास से बहते,
खुली चोट से वीभत्स,
हैवानियत से क्रूर,
प्रकृति से मोहक,
आसमान से विस्तृत,
धरा से रहस्यमय,
सागर से गहरे,
वक्त से अनिश्चित,
फूलों से कोमल
मानवीय रिश्तों के ये अनूठे
रंग-रूप
बिखरे जीवन के अद्भुत कैन्वस पर
करते कभी हैरान कभी परेशान
कभी करते जीवन को आसान
कभी करें बेचैन
कभी छीन लेते चैन
रिश्ते
प्रश्नों की सलीब---खोजते अर्थ।
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बेहद प्रभावशाली रचनाएँ. बहुत बधाई सीमा जी.
ReplyDeleteबहुत बढिया कविताएं...बधाई सीमा जी!
ReplyDeletebhaavpurn v khoobsurat abhivyakti.....seemaji ko bahut -bahut badhai...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ....काश इतनी आसान होती जिंदगी
ReplyDeleteमानवीय रिश्तों के ये अनूठे रंग-रूप
ReplyDeleteबिखरे जीवन के अद्भुत कैन्वस पर
करते कभी हैरान कभी परेशान
कभी करते जीवन को आसान
कभी करें बेचैन
कभी छीन लेते चैन
रिश्ते
जीवन के धरातल से जुड़ी दोनों रचनाएं बहुत प्रभावशाली हैं | पहली रचना मन को हिला देती है | बधाई आपको |
ReplyDeleteबहुत प्यारी रचनाएँ ... कुछ प्रश्न छोडती हुई .. उम्दा ..बधाई सीमा जी ...
ReplyDeletedono rachnaen bahut achhi hain .badhai seema ji.
ReplyDeletepushpa mehra.
बहुत गहन भावाभिव्यक्ति है ...सरस और प्रभावी ..हार्दिक बधाई सीमा जी !
ReplyDeletehardik badhai...
ReplyDeleteसच्चाई के धरातल पर रची गई खूबसूरत कविताएँ...मन को कहीं गहरे छू जाती हैं...|
ReplyDeleteहार्दिक बधाई...|