आई
रे होली
कमला निखुर्पा
फागुन संग इतरा के आई है होली सर र र र चुनरी लहराए रे होली
सरसों भी शरमा के झुक झुक जाए
खिलखिला रही वो देखो टेसू की डाली ।
फागुन संग इतरा के आई रे होली ।
अमुआ की डाली पे
फुदक-फुदक
कानों में कुहुक
गीत गाए है होली ।
इंद्रधनुष उतरा
गगन से धरा पे
सतरंगी झूले पे
झूल रही होली ।
फागुन संग इतरा
के आई रे होली ।
खन खन खनकी गोरे हाथों की चूड़ियाँपिचकारी में रंग भर लाई रे होली ।
अखियाँ अबीर, गाल हुए हैं गुलाल आज
भंग की तरंग संग लाई है होली ।
फागुन संग इतरा के आई है होली ।
गलियाँ चौबारे
बने ब्रज – बरसाने
घर से निकल
चले कुंवर कन्हाई
ढोलक की थाप
सुन गूंजे मृदंग धुन
संग चली गीतों
की धुन अलबेली ।
फागुन संग
इतरा के आई रे होली ।
इंद्र धनुष
उतरा गगन से धरा पे
सतरंगी झूले
पे झूल रही होली ।
इंद्र धनुष उतरा गगन से धरा पे
ReplyDeleteसतरंगी झूले पे झूल रही होली ।....बहुत सुंदर
बहुत सुंदर रंग बिखेरती रचना....
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनाएँ!:-)
~सादर!!!
रंगबिरंगी होली सी ही रंगीन कविता !
ReplyDeleteपर्व की बहुत शुभकामनायें !
हर ओर प्रसन्नता फैली, होरी आयी रे..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
ReplyDeleteआप सब को भी होली की बहुत शुभकामनाएँ...|
प्रियंका
बहुत सराहनीय प्रस्तुति.बहुत सुंदर .आभार !
ReplyDeleteले के हाथ हाथों में, दिल से दिल मिला लो आज
यारों कब मिले मौका अब छोड़ों ना कि होली है.
मौसम आज रंगों का , छायी अब खुमारी है
चलों सब एक रंग में हो कि आयी आज होली है
बहुत सुंदर . आभार !
ReplyDeleteले के हाथ हाथों में, दिल से दिल मिला लो आज
यारों कब मिले मौका अब छोड़ों ना कि होली है.
मौसम आज रंगों का , छायी अब खुमारी है
चलों सब एक रंग में हो कि आयी आज होली है
अमुआ की डाली पे फुदक-फुदक
ReplyDeleteकानों में कुहुक गीत गाए है होली ।
इंद्रधनुष उतरा गगन से धरा पे
सतरंगी झूले पे झूल रही होली ।
फागुन संग इतरा के आई रे होली ।
..बहुत सुन्दर ....
आपको सपरिवार होली की शुभकामनायें..
मनभावन कविता.......
ReplyDeleteशुभकामनाएं...
सादर
अनु
wah bahut sundar rachana ......holi ko sajeev kr deti hai apki yh post .
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDelete--
रंगों के पर्व होली की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ!
रंगों से सराबोर होली की रचना।
ReplyDeleteआप सभी को होली की शुभकामनाएं।
लियाँ चौबारे बने ब्रज – बरसाने
ReplyDeleteघर से निकल चले कुंवर कन्हाई
ढोलक की थाप सुन गूंजे मृदंग धुन
संग चली गीतों की धुन अलबेली ।
फागुन संग इतरा के आई रे होली ।
इंद्र धनुष उतरा गगन से धरा पे
सतरंगी झूले पे झूल रही होली ।
wah kya baat hai bahut khoob
holi ki shubhkamnayen
rachana
सहज साहित्य में आप सभी को मेरी सरल सहज सी रचना भाई ... आभार
ReplyDeleteSundar rachna ...sabhi ko holi mubarak...
ReplyDeleteफगुआ रंग सी खिलती कविता...
ReplyDeleteखिलखिला रही वो देखो टेसू की डाली ।
फागुन संग इतरा के आई रे होली ।
होली की बधाई और शुभकामनाएँ.
अखियाँ अबीर, गाल हुए हैं गुलाल आज
ReplyDeleteभंग की तरंग संग लाई है होली ।
Beautiful !