पथ के साथी

Friday, January 11, 2013

धूप छिड़क दो ना


 आज सहज साहित्य पर डॉ•भावना कुँअर और अनिता ललित की रचनाएँ दी जा रही हैं। इनकी अन्य रचनाएँ पढ़ने के लिए आप इनके रेखांकित नाम को क्लिक कर सकते हैं। रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
1-छिड़क दो ना (चोका)

दुःखी ये मन
सीला आँसुओं -संग
प्यार की तुम
धूप,छिड़क दो ना!
मासूम रात
अँधेरे ने जकड़ी ,
रोशनी तुम
थोड़ी ,छिड़क दो ना!
मन के बंद
इन दरवाजों पे
तुम यादों की
बूँदें,छिड़क दो ना!
साँसों की डोर
ढूँढने लगी ,तुम
रोशनी,जीवन की
जरा, छिड़क दो ना।
-0-
कोहरे में लिपटी ग़ज़ल सी खड़ी हूँ(कविता)
  
कोहरे में लिपटी ग़ज़ल सी खड़ी हूँ,
मैं अपने ही साये में खो सी गयी हूँ...!

साँसों में चढ़ते एहसासों के रेले,
धुएँ-से ठहरते   हैं ख़्वाबों के मेले...!

अल्फ़ाज़ खुद में लिपट से गये हैं,
सिहरते, लरज़ते..सिमट से गये हैं..!

कोई धुन सजाओ.., मुझे गुनगुनाओ..,
चाहत की नर्म धूप..ज़रा तुम खिलाओ...!

नज़र में तुम्हारी मुस्कानें जो चमकें..,
मेरी सर्द हस्ती को शबनम बना दें......

पिघल कतरा- कतरा ... हर लफ्ज़ से मैं बरसूँ,
तुम फूल, मैं शबनम बन... तुमको निखारूँ !

कोहरे में लिपटी ग़ज़ल -सी खड़ी हूँ,
मैं अपने ही साये में खो सी गयी हूँ...!
-0-

8 comments:

  1. बहुत भावपूर्ण चोका भावना जी बहुत बधाई

    बहुत सुन्दर कविता अनीता जी बहुत बधाई।
    बड़ी प्यारी पंक्तियाँ यह
    नज़र में तुम्हारी मुस्कानें जो चमकें..,
    मेरी सर्द हस्ती को शबनम बना दें......

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  2. डॉ भावना कुँअर जी, आपकी यह " छिड़क दो न ( चोका ) " एक ऐसी रचना है जो दिल पर गहरा प्रभाव छोड़ती है। मैंने इसे जितनी बार पढ़ा, दिल कह रहा है - एक बार फिर ! बहुत - बहुत बधाई !
    अनिता जी की कविता " कोहरे में लिपटी ग़ज़ल सी खड़ी हूँ "के साथ भी ऐसा ही कुछ महसूस किया। आज एक साथ इतनी दो
    बेहतरीन रचनाएँ - अनिता जी आपको भी बहुत-बहुत बधाई !

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  3. एक भावपूर्ण चोका...बड़ा कोमल सा अहसास छोड़ता हुआ...बधाई भावना जी...।
    कोहरे में लिपटी गज़ल सी...मानो अपने भावों में पाठक को भी समेट लेती है...अनीता जी को बधाई...।
    इन दो खूबसूरत रचनाओं के लिए आभार...।
    प्रियंका

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  4. एक भावपूर्ण चोका...बड़ा कोमल सा अहसास छोड़ता हुआ...बधाई भावना जी...।
    कोहरे में लिपटी गज़ल सी...मानो अपने भावों में पाठक को भी समेट लेती है...अनीता जी को बधाई...।
    इन दो खूबसूरत रचनाओं के लिए आभार...।
    प्रियंका

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  5. भावना जी ... आपकी लेखनी से जो भी बहता है... वो सीधे दिल को भिगोता हुआ , निखारता हुआ जाता है !
    बहुत खूबसूरत चोका !
    हार्दिक बधाई!:-)
    सादर!!!

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  6. कृष्णा जी, सुभाष जी, कही अनकही जी ... आपकी प्रशंसा व प्रोत्साहन का तहे दिल से शुक्रिया !:-)
    ~सादर!!!

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  7. Aap logon ka sneh hi meri lekhni ki taakat hai...aap sabhi ka tahe dil se shukriya...

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  8. दोनों रचनाएँ बहुत ही सुन्दर ..मन को छू लेने वाली हैं | Dr bhawna ji aur Anita ji को बहुत बहुत बधाई !
    सादर
    ज्योत्स्ना शर्मा

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