हाइकु मुक्तक-रामेश्वर
काम्बोज ‘हिमांशु’
1
यादों की गली /यदि
भूलकर भी /तुम आ जाते ।
इन्तज़ार में
/ मोड़ पर खड़े थे / हमें पा जाते ॥
करें क्या हम
/क़िस्मत में लिखा जो / मिटता नहीं ।
कसक यही / दो पल को ही
सही / तुम्हें पा जाते ॥
2
अपना तन । अपना मन
सब / तुमने जाना ।
इसके आगे / होती इक
दुनिया /न पहचाना ॥
हँसता देख / किसी को
पलभर /तुम तो रोए ।
उम्र बिता दी / स्वार्थ
को ही तुमने / जीवन माना ॥
-0-
बँधा भी है और मुक्त भी, अर्थ और भाव पूर्ण..
ReplyDeleteहृदय की कसक को सुंदर शब्द दिये ...
ReplyDeleteअच्छी रचना ...!!शुभकामनायें
बढ़िया हाइकु मुक्तक .... सुंदर भाव
ReplyDeleteभावपूर्ण अच्छी रचना !!
ReplyDeleteसरल शब्दों में मन को टटोलती ..छूती हुई रचनाएँ.
ReplyDeleteशुभकामनायें.
bahut badhiya.....
ReplyDeleteसुंदर भावों को मोतियों सा पिरो के ये तो माला जैसे हो गये ...बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ...
ReplyDeleteसादर ज्योत्स्ना