रामेश्वर काम्बोज ’ हिमांशु’
1
क्षय -पीड़ित
हुआ नील गगन
साँसें उखड़ीं ।
2
तन झुलसा
घायल सीने का भी
छेद बढ़ा है ।
3
कड़ुवा धुँआ
लीलता रात-दिन
मधुर साँसें ।
4
सुरभि रोए
प्राण लूट ले रहीं
विषैली गैसें ।
5
वसुधा -तन
रोम- रोम उतरा
विष हत्यारा ।
6
सुगन्ध छुपी,
पहली वर्षा में जो
दुर्गन्ध उड़ी ।
7
दुर्गन्ध बने
घातक रसायन
माटी मिलके ।
8
गुलाब दुखी
बिछुड़ी है खुशबू
माटी हो गया ।
9
घास जो जली
धरा गोद में पली
गौरैया रोए ।
-0-
सच है ..
ReplyDeleteप्रकृति का हाल..
बेहाल है
bahut acche baaw sabhi hiku ke ....
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर क्षणिकायें..
ReplyDeleteबहुत ही सही चित्रण आजकल के दूषित वातावरण का...~सभी हाइकू बहुत बहुत बढ़िया !
ReplyDeleteसादर !
प्रदूषण की वजह से पर्यावरण कितना दूषित हो रहा है आपके हाइकु इस सामायिक समस्या को बाखूबी बता रहे हैं ।
ReplyDeleteसुरभि रोए
प्राण लूट ले रहीं
विषैली गैसें ।
गुलाब दुखी
बिछुड़ी है खुशबू
माटी हो गया ।
गुलाब से खुशबू छिन गई है । अगर जल्दी इस तरफ ध्यान न दिया गया तो वो दिन दूर नहीं जब ये फुल खिलना ही बंद हो जाएँगे ।
बहुत अच्छा संदेस दे रहे हैं आपके सभी हाइकु !
हरदीप
http://internationalhindiconfrence.blogspot.in/
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