पथ के साथी

Sunday, January 29, 2012

दर्जी- वसंत


शुभकामना 

हरी चूनर 
पीले फूल काता 
दर्जी- वसंत ।
-कमला निखुर्पा



16 comments:

  1. परतों पर परतें गाढ़ी है,
    क्या खूब चुनरिया काढ़ी है,

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  2. क्या खूबसूरत कल्पना है! इस दर्ज़ी ने जो कढ़ाई की है , वह अद्भुत है । आपके इस सौन्दर्यबोध को , उपमान -योजना को आपके इस साहित्य-प्रेमी अग्रज का प्रणाम !आप जैसे हाइकुकार इस विधा को जो गरिमा प्रदान कर रहे हैं, वह अनुकरणीय है ।

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  3. काढ़ता
    दर्जी- वसंत ।sahi bat.

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  4. सुन्दर बिम्ब .. खूबसूरत हाईकू

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  5. दर्जी बसंत ............. नयी तुलना , अच्छा लगा

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  6. बहुत सुन्दर बिम्ब

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  7. सुंदर अभिव्यक्ति ...!!

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  8. एकदम अनूठा प्रयोग... वसंत की छटा को बहुत ही सुन्दरता के साथ प्रस्तुत किया है.
    सादर
    मंजु

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  9. नि:संदेह हाइकु में एक अनूठी अभिव्यक्ति ! बधाई !

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  10. ऐसा दर्जी तो कहीं नहीं मिलेगा .....वाह कमला जी ...कमाल ही कमाल है .......बहुत ही सुन्दर .......ऐसे दर्जी से सूट कढ़ाई
    करवा देना जब आपको मिले ! आप जैसे अच्छे दिल वालों को तो मिल ही जाएगा !
    हरदीप

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  11. ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब हाइकु !

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  12. आप सभी की नेह फुहार से मेरी चुनरिया तो भीग ही गई मित्रों ! फूलों के रंग कुछ और चटख हो गए हैं ... . . नेह फुहार ...भीगा मन बिरवा ...कहे आभार

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  13. वाह कमला जी ! आभार और वह भी सरस हाइकु में । ईश्वर आपकी कलम को वसन्त के सौरभ से सदा सराबोर करता रहे ।
    नई कढ़ाई
    टाँकी उपवन में -
    खुशबू छाई ।
    साभार-हिमांशु

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  14. सुन्दर बिम्ब .. खूबसूरत हाईकू....

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