-रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
दो बूँद भी
प्यार मिला है
मुझको जिनसे
उनको
भर-भर गागर देना ।
सुख-दु:ख में
परछाई बन
सुख के
सातों सागर देना ।
बोते रहे
हरदम काँटे
प्यार-भरे दिल
तोड़े
उनको भी समझाना ।
फूल खिलाते
रहे जो भी
सपनों में भी
उनको
हरदम गले लगाना।
-0-
... umdaa !!
ReplyDeletegood one.
ReplyDeleteरामेश्वर जी,
ReplyDeleteदिल को छूने वाली है आपकी कविता....
हर शब्द दिल में उतरता चला गया ।
आपके ही भाव को अगर हम कुछ ऐसे कहें...
1.
प्यार तेरे की
मिली जो बूँद-बूँद
गागर भरी !
2.
जीवन भर
बना परछाईं तू
दु:ख सुख में!
3.
बोए जो काँटे
कर माफ़ उनको
गले लगाना!
4.
गले लगाऊँ
मेरे जो हैं अपने
सपनों में भी !
हरदीप
प्रेम भरी भावनाओँ से पगी रचना बहुत अच्छी लगी.
ReplyDeleteमन को छूती , सहज ,अछूती रचना के लिए मेरी बधाई बड़े भाई ।
ReplyDeleteHappy New Year Rameshwar ji. Bahut sunder rachna hai !
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी रचना।
ReplyDeleteRespected Bhai Sahab,
ReplyDeleteBahut sundar aur dil ko chhoone wali kavita hai.
ज़िन्दगी से जुड़ी यह कविता पढ़ कर बहुत कुछ सोचने पर मजबूर हुई...।
ReplyDeleteइतनी खूबसूरत कविता के लिए बहुत-बहुत बधाई...।
मानी
बहुत सुन्दर और सकारात्मक सोच, इतना प्यार जिस ह्रदय में हो उसके लिए सारा विश्व अपना है वाह सारे विश्व का !!
ReplyDeleteदो बूँद भी
प्यार मिला है
मुझको जिनसे
उनको
भर-भर गागर देना ।
सुख-दु:ख में
जो साथ रहे
परछाई बन
सुख के
सातों सागर देना ।
बोते रहे
हरदम काँटे
प्यार-भरे दिल
तोड़े
उनको भी समझाना
दिल से निकली हुयी निर्मल प्रार्थना है आपकि यह सुन्दर कविता
ReplyDeleteउमेश मोहन धवन