सुधा जी की हस्तलिपि देखकर उनके जीनव का एक सुन्दर रूप नज़र आता है..अक्षरों की बनावट व लिखने के ढंग से व्यक्ति का व्यक्तित्व देखा जा सकता है । अब रही बात लिखा क्या है....यह तो सोने पे सुहागा है.... यादें='यादों की लोई'में कितना दर्द भरा है जब पुरानी बातों ( यादों) को सुनने वाला भी कोई नहीं होता तो ..... जख्म= गुलाब की फसल/ अपनों के दिए जख्म/ फूलों का बोजा सभी हाइकु एक से बढ़कर एक है जिनमें लिए गए जिन्दगी के बिम्ब हमारी सोच से बहुत ऊपर हैं । सुधा जी की कलम को नमन !
एक एक शब्द अनेकों भाव व्यक्त करता मानो पूरी कहानी ही कह गया... आँसू तो सूखे , आँखें चिरमिरातीं, दर्द की मारी... // फफोले उठे गजब की धूप थी नंगे पाँव थे .... // मन की संपूर्ण छटपटाहट कितनी सहजता से इन चंद शब्दों में व्यक्त हुयी है
aap ki haathse likhi in panktiyon me ek khushbu hai aap ki ,aap ki soch ki .ek ek shbd hajaron bhav liye huye hai. in bhavon se gujarna ek yatra jaesa hai .asim sukhdai yatra. saader rachana
बहुत ही अच्छे लगे सुधा जी के हाईकु ! कुछ तो दिल पर उतर गए… ०० किसे दिखाएं/दिल की टूट-फूट/ मिस्त्री गुम ००० ज़ख्म हरे हैं/अपनों ने दिए थे/नहीं भरे हैं ००० भूलता नहीं/एक सूखा गुलाब/ बन्द किताब…
वाह ! भाई काम्बोज जी, इधर मैं देखता हूँ कि कई लोग बस हाईकु लिखने के लिए ही हाईकु लिख रहे हैं लेकिन उनमें कविता जैसी बात नहीं होती, इनमें विचार और संवेदना का होना भी मैं आवश्यक समझता हूँ जैसे कि सुधा जी के ये हाईकु !
सुधा जी की हस्तलिपि देखकर उनके जीनव का एक सुन्दर रूप नज़र आता है..अक्षरों की बनावट व लिखने के ढंग से व्यक्ति का व्यक्तित्व देखा जा सकता है ।
ReplyDeleteअब रही बात लिखा क्या है....यह तो सोने पे सुहागा है....
यादें='यादों की लोई'में कितना दर्द भरा है जब पुरानी बातों ( यादों) को सुनने वाला भी कोई नहीं होता तो .....
जख्म= गुलाब की फसल/ अपनों के दिए जख्म/ फूलों का बोजा सभी हाइकु एक से बढ़कर एक है जिनमें लिए गए जिन्दगी के बिम्ब हमारी सोच से बहुत ऊपर हैं ।
सुधा जी की कलम को नमन !
... bahut sundar ... prasanshaneey lekhan !!!
ReplyDeleteसारी रचनाएँ बहुत सुन्दर ..
ReplyDeleteएक एक शब्द अनेकों भाव व्यक्त करता मानो पूरी कहानी ही कह गया... आँसू तो सूखे , आँखें चिरमिरातीं, दर्द की मारी... //
ReplyDeleteफफोले उठे गजब की धूप थी नंगे पाँव थे .... // मन की संपूर्ण छटपटाहट कितनी सहजता से इन चंद शब्दों में व्यक्त हुयी है
उगाई मैंने
ReplyDeleteगुलाब की फसल
हाथ घायल...
बहुत सुंदर रचनाएँ.
आपको क्रिस्मस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
ज़ख्म हरे हैं
ReplyDeleteअपनों ने दिए थे
नहीं भरे हैं !
बहुत सुन्दर ! सभी हाइकू लाजवाब हैं ! आपके ब्लॉग पर आना सुखद अनुभव रहा !
aap ki haathse likhi in panktiyon me ek khushbu hai aap ki ,aap ki soch ki .ek ek shbd hajaron bhav liye huye hai.
ReplyDeletein bhavon se gujarna ek yatra jaesa hai .asim sukhdai yatra.
saader
rachana
haaiku ke saath hin hastlipi mein prakaashan dekhkar aur bhi achha laga, shubhkaamnaayen.
ReplyDeletedr sudha ji
ReplyDeletesaare hi hiku bemisaal hain .
bahut hi sasshakt
aur bahut hi prbhav purn prastuti.
aapko nav varshhh ke liye hardik abhinandan.
poonam
नववर्ष की ढेरों हार्दिक शुभभावनाएँ.
ReplyDeleteसभी हाईकु बहुत अच्छे लगे। सुधा जी की रचनायें हमेशा प्रभावित करती हैं। अपको भी सपरिवार नये साल की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचनायें ...बधाई इस प्रस्तुति के लिये ।
ReplyDeleteबहुत ही अच्छे लगे सुधा जी के हाईकु !
ReplyDeleteकुछ तो दिल पर उतर गए…
००
किसे दिखाएं/दिल की टूट-फूट/ मिस्त्री गुम
०००
ज़ख्म हरे हैं/अपनों ने दिए थे/नहीं भरे हैं
०००
भूलता नहीं/एक सूखा गुलाब/ बन्द किताब…
वाह ! भाई काम्बोज जी, इधर मैं देखता हूँ कि कई लोग बस हाईकु लिखने के लिए ही हाईकु लिख रहे हैं लेकिन उनमें कविता जैसी बात नहीं होती, इनमें विचार और संवेदना का होना भी मैं आवश्यक समझता हूँ जैसे कि सुधा जी के ये हाईकु !