पथ के साथी

Thursday, November 4, 2010

मैं वह दीपक


-रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

मैं वह दीपक नहीं , जो आँधियों में सिर झुका दे ।
मैं वह दीपक नहीं , जो खिलखिलाता घर जला दे ।
मैं वह दीपक नहीं , जो दुखी से मुँह मोड़ लेता ।
मैं वह दीपक नहीं , जो गाँठ सबसे जोड़ लेता ।
        मैं तो वह  दीपक हूँ , जो खुद जलकर मुस्कुराता ।
       मैं तो वह  दीपक , जो पर पीर में अश्रु बहाता ।
       मैं वह  दीपक सदा जो गैर को भी पथ दिखाता ।
मैं  वह  दीपक, तुम्हारे नेह को जो सिर झुकाता
विष पी सुकरात तक भी कुछ नहीं समझा सके थे  ,
मैं क्या समझा सकूँगा, क्या समझ सकता ज़माना ।
कौन समझेगा? शिव ने क्यों किया विषपान हँसकर
दीप जलकर झूमता क्यों बहुत कठिन है बताना ।
        मैं जलता हूँ कभी अन्धकार न तुमको रुलाए ।
       मैं जलता हूँ कोई दुख कभी नहीं पास आए ।
मैं जलता हूँ तुम्हारे कल्याण की बनकर शिखा ।
मैं जलता हूँ कि कोई दिल तुम्हारा ना दुखाए ।
बस आज मेरी तो सभी से , है इतनी प्रार्थना  -
प्यार के दो बोल मुझसे तम -पथ में बोल देना
रात भर जलता रहूँगा , नेह थोड़ा घोल देना ।
आँधियाँ जब-जब उठें ,तुम द्वार अपना खोल देना।
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25 comments:

  1. प्यार के दो बोल मुझसे तम -पथ में बोल देना ।
    रात भर जलता रहूँगा , नेह थोड़ा घोल देना ।आँधियाँ जब-जब उठें ,तुम द्वार अपना खोल देना।
    aap ke vichar pujniye hain
    bahut pyari kavita ke liye badhai
    saader
    rachana

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  2. अच्छी कविता है। बधाई। दीपावली पर मंगलकामनाएँ ।
    anil janavijay

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  3. kamboj bhaisahab,
    bahut achhi aur saargarbhit rachna. deepon ka yah tyohaar bahut kuchh kahta hum seekhte, samajhte aur sochte nahin...

    बस आज मेरी तो सभी से , है इतनी प्रार्थना -
    प्यार के दो बोल मुझसे तम -पथ में बोल देना ।
    रात भर जलता रहूँगा , नेह थोड़ा घोल देना ।

    deepawali kee bahut shubhkaamnaayen.

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  4. हिमांशु जी
    सद्भाभावनाओं से भरपूर कविता अति उत्तम है|दि्व्यता से भरी दिवाली आपको दिव्य हो |
    सुधा भार्गव

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  5. रामेश्वर जी,
    दीपावली के इस पावन पर्व पर आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनायें !
    दिल से लिखी....दिल को छूने वाली कविता...
    सच में ही आप ऐसे ही दीपक हो जो खुद जलकर दूसरों के घर मे् व जीवन में उजाला करते हो ।

    हरदीप

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  6. हृदय से निःसृत रचना. बहुत सुंदर भाव लिए हुए. हाल ही में आपको सम्मानित किया गया इसके लिए बधाई. डॉ. मेंहदीरत्ता मेरे प्रिय प्राध्यापक रहे हैं. मेरे गुरु हैं.

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  7. आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को दीपावली पर्व की ढेरों मंगलकामनाएँ!

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  8. भाई काम्बोज जी,
    सबसे पहले तो दीपावली के शुभ अवसर पर आपको व पूरे परिवार को मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ...।
    मन को छू लेने वाली एक खूबसूरत कविता के लिए आप को बहुत बधाई...।

    सदभावी ,
    मानी

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  9. भाई हिमाँशु जी,
    आपकी कविता बहुत प्यारी भी लगी और दमदार भी। बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  10. दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनायें।

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  11. बहुत सुन्दर रचना है!
    --
    प्रेम से करना "गजानन-लक्ष्मी" आराधना।
    आज होनी चाहिए "माँ शारदे" की साधना।।

    अपने मन में इक दिया नन्हा जलाना ज्ञान का।
    उर से सारा तम हटाना, आज सब अज्ञान का।।

    आप खुशियों से धरा को जगमगाएँ!
    दीप-उत्सव पर बहुत शुभ-कामनाएँ!!

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  12. चिरागों से चिरागों में रोशनी भर दो,
    हरेक के जीवन में हंसी-ख़ुशी भर दो।
    अबके दीवाली पर हो रौशन जहां सारा
    प्रेम-सद्भाव से सबकी ज़िन्दगी भर दो॥
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
    सादर,
    मनोज कुमार

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  13. मैं तो वह दीपक , जो पर पीर में अश्रु बहाता । मैं वह दीपक सदा जो गैर को भी पथ दिखाता
    .....बहुत ही सुन्दर कविता है. "मै और मेरा" के आज के माहौल में दूसरों के लिए कुछ करने की भावना एक आदर्श सन्देश है. इन पंक्तियों को पढ़ कर यदि अंशमात्र भी हम अपने जीवन में अपना लेंगे तो समाज की सूरत बदल जाएगी.

    दीपावली की शुभकामनायें

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  14. कविता आज पढी। बधाई। दीवाली का यही संदेश है।यही मतलब है। सुकेश साहनी

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  15. मैं तो वह दीपक हूँ , जो खुद जलकर मुस्कुराता ।
    मैं तो वह दीपक , जो पर पीर में अश्रु बहाता ।

    रात भर जलता रहूँगा , नेह थोड़ा घोल देना ।
    आँधियाँ जब-जब उठें ,तुम द्वार अपना खोल देना।

    काम्बोज जी एक ऐसी रचना आपने दीपावली पर लिखी जो मन के अंदर कहीं गहराई तक उतर गई, दूसरों की पीड़ा को समझना है तो कोई दीए से सीखे जो सिर्फ रोशन ही दूसरों के लिए होता है। आपकी ये पंक्तियाँ बहुत ज्यादा प्रभावित करती हैं आपको इतनी खूबसूरत भावों की रोशनी से सजी रचना के लिए हार्दिक बधाई...

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  16. deep ka sundar aatmakathya!!!!
    shubhkamnayen!

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  17. बहुत बढ़िया कविता है। दीपावली पर शुभकामनाएं ।

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  18. ्जीवन की सार्थकता कोई दीपक से सीखे-यह सच्चाई उजागर करती हुई कविता दिल पर अमिट छाप छोड़ती है|
    सुधा भार्गव

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  19. "आँधियाँ जब-जब उठें ,तुम द्वार अपना खोल देना।"... sundar kavitaa.. andhere se ladne kaa hausla deti kavita...

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  20. आँधियाँ जब-जब उठें ,तुम द्वार अपना खोल देना.... दिल को छूने वाली कविता...सार्थक संदेश

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  21. Respected Sir,
    Bahut sundar kavita.....

    Bahut khushkismat hain woh log, jinke ghar aise anmol deepak se prakashit ho rahe hain.

    Mumtaz & T.H.Khan

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  22. आप सबने जो प्यार और मान दिया है , उससे उॠण नहीं होना चाहता ताकि आप सबके अपनत्व का अहसास हरदम बना रहे । बस आप सबके लिए यह कहना चाहूँगा- खुली आँखों से देखो ये दुनिया

    नए स्वप्न सदा इनमें मुस्काएँ॥

    जीवन की बगिया महके हमेशा

    खुदा हर रोज़ नए फूल खिलाए ।

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  23. पहली बार आपका ब्लाग देखा। सुखद अनुभूति हुयी। धीरे धीरे सब कुछ पढती हूँ। अब तो आना होता रहेगा। आपकी कविता बहुत अच्छी लगी,प्रेरक सकारात्मक सोच। धन्यवाद।

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  24. श्रद्धेय काम्बोज जी
    दीपावली के अवसर पर आप द्वारा लिखी गई कविता व सकारात्मक सुविचार ने मन को छू लिया। सकारात्मक सुविचार मेरे विद्यालय की प्रात:कालीन सभा का एक आइटम बना।ई मेल के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
    आप का शुभेच्छु
    चन्द्रदेव राम
    प्राचार्य, के0वि0 जवाहरनगर

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  25. प्यार के दो बोल मुझसे तम -पथ में बोल देना ।
    रात भर जलता रहूँगा , नेह थोड़ा घोल देना ।

    बहुत सुन्दर रचना है। सच है नेह ही तो जीवन का सार है और उसी से जीवन में उजाला है। आपको, सभी मित्र रचनाकारों एवं पाठकों को सपरिवार दीपावली के पावन पर्व की शुभकामनायें

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