पानी
-रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
सूखा है क्यों दिलों में ,इतनी –सी बात जानी ।
आँखों में था कभी जो ,अब मर गया है पानी ॥
न हँसी न दिल्लगी है ,गुमसुम सभी हैं आँगन ।
कमरों में क़ैद दुनिया को कर गया है पानी ॥
बहुत अच्छा लिखा है . भाव भी बहुत सुंदर है. पर्याप्त जानकारी भी है. जारी रखें
आँखों में था कभी जो ,अब मर गया है पानी ....सही कहा अपने, आज लोगों की आँखों का पानी मर गया है, इंसान को इंसान का लिहाज नहीं रह गयामंजु
बहुत अच्छा लिखा है . भाव भी बहुत सुंदर है. पर्याप्त जानकारी भी है. जारी रखें
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है . भाव भी बहुत सुंदर है. पर्याप्त जानकारी भी है. जारी रखें
ReplyDeleteआँखों में था कभी जो ,अब मर गया है पानी ....
ReplyDeleteसही कहा अपने, आज लोगों की आँखों का पानी मर गया है, इंसान को इंसान का लिहाज नहीं रह गया
मंजु