अनुपमा त्रिपाठी 'सुकृति'
1
भोर का बस इतना
पता ठिकाना है
कि भोर होते ही
चिड़ियों को दाना चुगने
पंखों में भर आसमान
अपनी अपनी उड़ान
उड़ते जाना है...!!!
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2
आकंठ आमोद संग
प्रमुदित प्रभास का
सुगन्धित स्पर्श...
मृदुमय शांत वातावरण में अमृत
घोलता...
चहचहाते पक्षियों का कलरव...
स्वयं से स्वयं तक की यात्रा
का
प्रथम पड़ाव...
प्रात इस तरह हो
तो जीवन की गाथा लिखना
हृदयानंदित करता है...!!!
-0-
हार्दिक आभार आदरणीय भैया 🙏
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय भैया 🙏
ReplyDeleteबहुत सुंदर मनमोहक कविताएँ । हार्दिक बधाई । सुदर्शन रत्नाकर
ReplyDeleteउम्दा कविताएं
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचनाएँ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर।
ReplyDeleteहार्दिक बधाई आदरणीया
सादर
भोर का बस इतना पता ठिकाना है... वाह! बहुत सुंदर भाव
ReplyDeleteसुंदर रचनाएँ
ReplyDeleteVery Nice Post.....
ReplyDeleteWelcome to my blog !
सुंदर भाव से सजी कविताएँ!
ReplyDelete~सादर
अनिता ललित
बहुत सुंदर सरस रचनाएँ...हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविताएँ, हार्दिक बधाई
ReplyDeleteदोनों रचनाएँ बहुत सुन्दर. बधाई अनुपमा जी.
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