पथ के साथी

Saturday, February 22, 2025

1450-दो कविताएँ

 

अनुपमा त्रिपाठी 'सुकृति'

1


भोर का बस इतना

पता ठिकाना है
कि भोर होते ही
चिड़ियों को दाना चुगने
पंखों में भर आसमान
अपनी अपनी उड़ान
उड़ते जाना है...!!!
-0-

2

आकंठ आमोद संग

प्रमुदित प्रभास का

सुगन्धित स्पर्श...

मृदुमय शांत वातावरण में अमृत घोलता...

चहचहाते पक्षियों का कलरव...

स्वयं से स्वयं तक की यात्रा का

प्रथम पड़ाव...

प्रात इस तरह हो

तो जीवन की गाथा लिखना

हृदयानंदित करता है...!!!

-0-

 

13 comments:

  1. हार्दिक आभार आदरणीय भैया 🙏

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  2. हार्दिक आभार आदरणीय भैया 🙏

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  3. बहुत सुंदर मनमोहक कविताएँ । हार्दिक बधाई । सुदर्शन रत्नाकर

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  4. उम्दा कविताएं

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  5. बहुत सुंदर रचनाएँ।

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  6. रश्मि विभा त्रिपाठी23 February, 2025 22:22

    बहुत सुंदर।
    हार्दिक बधाई आदरणीया

    सादर

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  7. अनिता मंडा24 February, 2025 06:14

    भोर का बस इतना पता ठिकाना है... वाह! बहुत सुंदर भाव

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  8. सुंदर रचनाएँ

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  9. Very Nice Post.....
    Welcome to my blog !

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  10. सुंदर भाव से सजी कविताएँ!

    ~सादर
    अनिता ललित

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  11. बहुत सुंदर सरस रचनाएँ...हार्दिक बधाई।

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  12. बहुत सुन्दर कविताएँ, हार्दिक बधाई

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  13. दोनों रचनाएँ बहुत सुन्दर. बधाई अनुपमा जी.

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