डॉ. कनक लता मिश्रा
तुम स्रोत हो, तुम भाव हो
तुम शक्ति हो, तुम प्रभाव हो
हस्ती हमारी तुमसे है
मेरा पथ हो तुम, तुम्हीं पड़ाव हो
अज्ञान का तम छँट गया,
घनघोर बादल हट गया
अंतः तमस् ज्योतित हुआ,
तुम वह अलौकिक प्रकाश हो
अतिशय तुम्हारे रूप हैं,
अतिशय तुम्हारी शैलियाँ
कभी गद्य में कभी पद्य में,
हर रंग में अठखेलियाँ
डूबी तुम्हारे ज्ञान रस,
तब पार उतरीं कश्तियाँ
उत्कृष्ट तुम, तुम दिव्य हो,
तुम ईश्वरीय नैवेद्य हो
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शुभकामनाएं हिंदी दिवस की |
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद सभी को और बहुत धन्यवाद काम्बोज भइया को.... 🙏😊
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता। हिंदी दिवस की शुभकामनाएँ
ReplyDeleteसुन्दर सृजन!!
ReplyDeleteहिन्दी दिवस की शुभकामनाएँ।
तुम ईश्वरीय नैवेद्य हो।
ReplyDeleteबढ़िया कविता, शुभकामनाएँ।
आपकी कविता एक सहज हिंदी भाषी की सर्वोत्तम अभिव्यक्ति है
ReplyDeleteहिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ। बहुत सुंदर अभिव्यक्ति। हार्दिक बधाई। सुदर्शन रत्नाकर।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर।
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई आपको।
.हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं l
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता, हर रंग में अटखेलियाँ !
ReplyDeleteकल कल नदी सी प्रवाहित होती इस कविता में हिंदी भाषा के प्रति आपका प्रेम और कृतज्ञता सहज ही छलक पड़ता है। यह सुंदर रचना के लिए और हिंदी दिवस के लिए बहुत-बहुत बधाई, शुभकामनाएँ आदरणीया 🌹🌹🙏🙏💐💐
ReplyDeleteकल कल नदी सी प्रवाहित होती इस कविता में हिंदी भाषा के प्रति आपका प्रेम और कृतज्ञता सहज ही छलक पड़ता है। यह सुंदर रचना के लिए और हिंदी दिवस के लिए बहुत-बहुत बधाई, शुभकामनाएँ आदरणीया 🌹🌹🙏🙏💐💐
ReplyDelete©सुशीला शील स्वयंसिद्धा
बहुत सुंदर सृजन
ReplyDeleteअपनी हिन्दी भाषा की तरह ही सुंदर और प्रवाहमयी कविता के लिए हार्दिक बधाई
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति, बधाई .
ReplyDeleteसुंदर कविता! हिंदी दिवस की बहुत बधाई!
ReplyDelete~सादर
अनिता ललित
सुन्दर सृजन... हार्दिक बधाई
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