कविता-
काकोरी ट्रेन एक्शन
शिवानी
रावत , बी.ए.तृतीय वर्ष
किसे पुकारूँ बिस्मिल कहकर
रोशन सिंह जाने कहाँ खो गया
कैसे भूल जाऊँ राजेंद्र तुम्हें
तू तो ब्रिटिश राज को दहला
गया
आँखों में मौत का खौफ न था
तुम्हें जन्नत
का शौक न था
जिंदगी
वतन के नाम थी
धन्य हो वीर सपूतो!
तुम्हारी नींद वतन पर नीलम थी
जिक्र छिड़ा जब अशफाक उल्ला का
फिर-फिर काकोरी एक्शन याद आ गया
पलकों में आँसू छुपाए
बस इतनी सी ख्वाहिश रखती हूँ
मेरे वतन की आबरू सलामत रहे
खुदा से यही गुजारिश करती हूँ
पाल लूँगी मैं
भी अपने हाथों में
हुनर लाजवाब
पूरा करूँगी मैं भी अपने वतन का
हर एक ख्वाब
न मैली होने दूँगी उस आजादी को
जिस पर लगा गुलामी का दाग
हर वीर अपने खून से धो गया ।।
देश के प्रति आपके भाव सम्माननीय हैं युवा पीढ़ी का आज़ादी का मूल्य समझनाआज के दौर की प्राथमिक आवश्यकता है। सुन्दर एवं भावप्रवण रचना के लिए आपको बधाई।
ReplyDeleteआपकी लेखनी को हार्दिक शुभकामनाएँ।
देश के प्रति आपकी भावनाओं को नमन! हर वो वीर जिसने देश के लिए बलिदान दिया, वंदनीय है और हम सभी उसके लिए ऋणी हैं!
ReplyDeleteमन को छूने वाले सृजन हेतु बहुत स्नेह एवं आशीर्वाद आपको!
~अनिता ललित
देशभक्ति के भाव से ओतप्रोत सुंदर कविता,बहुत-बहुत शुभकामनाएँ प्रिय शिवानी।आदरणीय काम्बोज भैया हमेशा नवोदित रचनाकारों को प्रोत्साहित करते हैं।
ReplyDeleteअद्भुत अभिव्यक्ति.... 👏👏
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आप सबका 🙏🙏
Deleteधन्यवाद बहुत बहुत आभार अंकल जी इस सहयोग के लिए 🙏🙏🙏
ReplyDeleteBahaut Bahaut shubhkamnaye meri pyari bahen aise hi age badhti rho 👍👍
ReplyDeleteदेशभक्ति की सुंदर,भावपूर्ण अभिव्यक्ति। देश की आज़ादी का मोल यदि नव युवा शक्ति जान ले ,तो कोई भी उसे दुबारा ग़ुलाम नहीं बना सकता। बधाई ।लिखती रहिए।अशेष शुभकामनाएँ। सुदर्शन रत्नाकर
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