पथ के साथी

Wednesday, March 12, 2025

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कवित्त

1-गुंजन अग्रवाल अनहद


1

श्याम रंग चहूँ ओर, भीग गयो पोर- पोर,

अंग- अंग राधिका के, दामिनी मचल उठी।

प्रेम की पिपासा गाज भूल ग लोक-लाज

अधरों पे राधिका के रागिनी मचल उठी।

मन में मलंग उठे, हिय में तरंग उठे,

छेड़ गयो चितचोर कामिनी मचल उठी।

सारा रंग, देह सारी, मार गयो पिचकारी,

अब के फगुनवा में ग्वालिनी मचल उठी।

2

खेलनको आये होरी, करें श्याम बरजोरी

भंग की तरंग संग, करत धमाल हैं।

बलखाती चलें गोरी, हाथ लिये हैं कमोरी।

संग में किशोरी आईं, फेंकत गुलाल हैं।

मार दई पिचकारी, भीगी देह सुकुमारी,

लाज से लजाय गई , लाल हुए गाल हैं।

अंग- अंग में उमंग , मन में उठी तरंग,

श्याम रँग रंगी मन, बसे नंदलाल हैं।

3

बरसाने की मैं छोरी नाजुक कलाई मोरी

करेगो जो बरजोरी हल्ला मैं मचाय दूँ।

नैनन सों वार कर बतियाँहजार कर,

मुसकाय उकसाय झट से लजाय दूँ।

छेड़ेगो जो अब मोय, रंग में डुबोय तोय,

 साँची-साँची बोलती हूँ गोकुल पठाय दूँ।

हाथन में हाथ डार, रगड़े जो गाल लाल,

करैगो जो जोरदारी, रंग में डुबाय दूँ।

-0-

गुंजन अग्रवाल अनहद’, फरीदाबाद 

सम्पर्क. 9911770367

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आई होली वर्ष पच्चीस की

दिनेश चन्द्र पाण्डेय


1.

केसर कली की पिचकारी

पात-पात की देह सँवारी

रवि- किरणों से रंग चुराकर

प्योली ने अपनी छटा बिखेरी

होली आई अपने रंग में

फिजा में घुले नशीले गीत

समय से पहले खिले बुराँ

वादियाँ हुईं युवा व  सुरभित

गुलाल, अबीर, हरा, पीला

सब निकले बाहर बाग-वनों से

खुशरंग चुराकर फूलों से

खुद पर छिड़के इन्सानों नें

2.

जितने रंग थे दुनिया भर में

सब व्हाट्सएप पर छाए हैं.

भले ही घर में तंगहाल हो

फोन पे छटा बिखरा है.

हँसते चेहरे फेसबुक पे

फूल कली मुसका हैं

सूने पड़े गलियों के पैसेज

भटके फिरें होली के मैसेज

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12 comments:

  1. बहुत सुंदर कविताएं...👏👏
    होली की अग्रिम शुभकामनाएं...

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  2. सहज साहित्य के सभी मित्रों को रंग पर्व की ढेरों शुभकामनाएँ । शब्दों के रंगों से सजी फगुनाहट में सराबोर सभी कविताएँ बहुत सुंदर हैं ।

    सादर
    मंजु मिश्रा
    (www.manjukavya.wordpress.com)

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  3. सभी मित्रों को होली के पर्व की अनेक शुभकामनाएँ । दोनों रचनाकारों की कविताएँ होली विषय में गुथी हुई हैं । आप दोनों को हार्दिक बधाई । सविता अग्रवाल “ सवि”

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  4. सहज साहित्य से जुड़े सभी मित्रों को होली की अनेकों शुभकामनाएँ।
    फगुनाहट में भीगी बहुत ख़ूबसूरत कविताएँ। दोनों रचनाकारों को हार्दिक बधाई।

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  5. बहुत सुंदर रचनाएँ। होली की शुभकामनाएँ।

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  6. गुंजन जी के सरस कवित्त और दिनेश चंद्र जी की दोनों कविताएँ रंगों के उल्लास से परिपूर्ण हैं। बहुत बहुत बधाइयाँ

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  7. होली के खुशनुमा रंगों में रंगी सभी रचनाएं सुंदर!!

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  8. संपादक गण Arya सत्साहित्यिक सुधी जनों को होली की शुभकामनायें और रचना पसंद करने हेतु सादर आभार. गुंजन अग्रवाल 'अनहद ' जी को होली पर उत्कृष्ट कवित्त रचना हेतु बधाई - दिनेश चन्द्र पाण्डेय

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  9. गुंजन अग्रवाल16 March, 2025 10:19

    सहज साहित्य में मेरी रचना को प्रकाशित करने हेतु आदरणी कंबोज भैया का बहुत बहुत आभार 🙏, रचना को आप सभी का स्नेह मिला इसके लिए मैं आप सभी की हृदय से शुक्रगुजार हूं, साथ ही आप सभी को रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं 💐 🙏🌺 प्रणाम सहित

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  10. गुंजन अग्रवाल16 March, 2025 10:19

    दिनेश जी की दोनों रचना बहुत सुंदर हैं , हार्दिक बधाई आपको 💐💐

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  11. गुंजन अग्रवाल16 March, 2025 10:24

    आ. दिनेश जी को सुंदर सृजन हेतु हार्दिक बधाई 💐🙏🌺

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  12. होली पर बहुत सुन्दर कविताएँ. गुंजन जी और दिनेश जी को हार्दिक बधाई.

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