पथ के साथी

Saturday, March 8, 2025

1453-महिला दिवस

मुक्तक

डॉ. सुरंगमा यादव

 


1.

मिले तूफान राहों में, हमें पर रोक ना पाए 

कभी इरादों की स्याही, समन्दर टोक ना पाए

जो जुनूँ का क दरिया हमारे दिल में बहता है

लाख सूरज तपे लेकिन, से वह सोख ना पाए॥

2.

कोई मौसम, कोई रस्ता, हमें बस चलते जाना है  

दिखाए व़क्त ग़र तेवर, नहीं इक आँसू बहाना है

पसारे भुजाएँ कब रास्ते ये हम सबको बुलाते हैं

अगर पाना है मंज़िल तो क़दम ख़ुद तुमको बढ़ाना है॥

3.

सजे दीपक के संग ज्योति त दीपक सुहाता है

हो जब अक्षत-संग रोली तभी टीका भी भाता है।

है नारी प्यार की मूरत, बिन उसके कहाँ घर है

बिन मूरत के मंदिर भी कहाँ मंदिर कहाता है॥

4.

है नारी- मन तपोवन-सा, प्रेम-करुणा लुटाता है 

जो करता मान नारी का, वही सम्मान पाता है।

बिछाकर राह में काँटे क्यों परखते बल तुम उसका -

है वही काली, वहीं लक्ष्मी, वही बुद्धि प्रदाता है॥

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12 comments:

  1. नारी विमर्श पर सशक्त मुक्तक रचना हेतु बधाई.

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  2. नारी विमर्श पर सशक्त मुक्तक रचना हेतु बधाई.
    -दिनेश चन्द्र पाण्डेय

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  3. बहुत ही सुन्दर, आपको बहुत बहुत बधाई।

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  4. बहुत सुंदर, साहस से समायुक्त। हार्दिक बधाई 🌷👍🏾
    - जतन से संवारी सदा बोलती है
    - कि बनकर दुधारी कलम बोलती है
    - जहां लोग अन्याय पर मौन रहते
    - वहां पर हमारी कलम बोलती है

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  5. Gunjan Agarwal08 March, 2025 16:21

    बहुत सुंदर, आपको भी हार्दिक शुभकामनाएं 💐

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  6. नारी विमर्श पर बहुत सुंदर, प्रभावशाली मुक्तक। हार्दिक बधाई ।सुदर्शन रत्नाकर

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  7. बहुत सुंदर, सशक्त मुक्तक...हार्दिक बधाई।

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  8. महिला दिवस पर रचे सटीक और सशक्त मुक्तक हैं सुरंगमा जी , हार्दिक बधाई । सविता अग्रवाल “ सवि “

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  9. नारी विमर्श पर सशक्त उद्गार , खूूबसूरत अभिव्यक्ति के लिए सुरंगमा जी को हार्दिक बधाई।

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  10. महिला दिवस पर महिलाओं पर शानदार सृजन के लिए डॉ सुरँगमा को बहुत-बहुत बधाई 💐

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  11. महिला दिवस पर बहुत सुन्दर मुक्तक. बधाई सुरंगमा जी.

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  12. सुंदर सृजन

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