प्यार से अधिकार से/ स्वाति बरनवाल
तुम्हें बुला रहे कब से
प्यार से, अधिकार से!
तुम शहर के
मैं गाँव की
ये दिन फाग के
सज रहे रंग और राग से!
ख़्यालात रहे प्यार के
नशा छाई होली से!
दही-बड़े उरद के
बर्फी सजी केसर से
स्वाद रहा इलायची का
असर रहा भाँग से!
घाघरा रहा रेशम का
चुन्नी टँकी मोतियों से!
चेहरा रहा लाल
मलती रही गुलाल
बंसी रही बाँस की
बजती रही साज से!
चलो सींचे जीवन सुंदर
प्यार से अधिकार से!
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रचना को स्थान देने के लिए आभार! 🌼
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteहार्दिक बधाई आपको।
प्यार से अधिकार से....
ReplyDeleteबधाई, रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं!!
बेहतरीन रचना है दीदी 🙏🏻🙏🏻
ReplyDeleteसुंदर सृजन 🌹
ReplyDeleteसुंदर सृजन 👌👌
ReplyDeleteसुंदर कविता।सुदर्शन रत्नाकर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना, बधाई स्वाति जी.
ReplyDeleteसुंदर रचना!
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