मन
संध्या झा
मन भावनाओं का शृंगार चाहता है।
हर क्षण तुम्हें आस-पास चाहता है।
हृदय की व्याकुलता कोई ना समझे।
तुम समझो बस इतना सा व्यवहार चाहता है।
प्रेम के अतिरिक्त जीवन में हैं भी क्या ?
चंचल मन केवल प्रेम का प्रवाह चाहता है।
ह्रदय के साथ जीवन भी अर्पित किया
तुम्हें
मन तुमसे भी थोड़ा समर्पण,अधिकार
चाहता हैं।
वाद-विवाद यह सब हैं तुच्छ- सी बातें ।
इन सबसे ऊपर उठे , प्रेम तो बस प्रेम का आधार चाहता हैं।
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बेली रोड, मौर्य पथ,
पटना (बिहार ) 800014
Email -sandhyajha198@Gmail.com
बहुत सुन्दर रचना, हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर।
ReplyDeleteहार्दिक बधाई
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता। सुदर्शन रत्नाकर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना. बधाई संध्या जी.
ReplyDeleteप्रेम की भावनाओं से ओतप्रोत इस सुंदर कविता के लिए बहुत बधाई
ReplyDeleteI agree that love is the foundation of life.
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