पथ के साथी

Saturday, December 9, 2023

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    मंथन

शशि पाधा

 

अपना-अपना भाग्य लिखाए

धरती पर हैं आते लोग

विधना जो भी संग बँधाए

गठरी भर- भर लाते लोग

 

किस स्याही से खींची उसने

हाथों की अनमिट रेखाएँ

वेद_ पुराण पढ़े हर कोई

भाग्य नहीं पढ़ पाते लोग

 

बीते कल की पीड़ा बाँधे

आज’ तो जी भर जी न पा

भावी की चिंता में डूबे

जीवन-स्वर्ण लुटाते लोग

 

रिश्तों  के इस  मोहजाल में

मन पंछी व्याकुल- सा रहता

जग जंजाल छोड़के सारा 

मुक्त नहीं हो पाते लोग

 

कौन है अपना, कौन पराया

किसने कैसी रीत निभाई

मन तराजू मन ही पलड़े  

तोल- मोल कर जाते लोग

 

सुंदर मन सुंदर यह जगति

सुंदर सृष्टि रूप-अनूप

मन दर्पण हो जिसका जैसा

वैसा चित्र   बनाते   लोग

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Email: shashipadha@gmail.com

14 comments:

  1. वाह्ह्ह... बहुत ही सुंदर उत्कृष्ट भाव से भरी रचना 🌹🙏

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  2. वाह!!!बहुत सुन्दर। बधाई आपको।

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  3. बहुत ही खूबसूरत, हार्दिक शुभकामनाएं।

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  4. बहुत सुन्दर कविता। सच है भाग्य कोई नहीं बांच पाता।

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  5. बहुत सुन्दर जीवन-दर्शन दर्शाती नविता

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  6. बहुत ही सुन्दर रचना, हार्दिक बधाई आपको

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  7. जीवन के फलसफे को सुन्दर शब्दों में बयान करती उत्तम अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई प्रिय शशि जी ।

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  8. बहुत सुंदर रचना

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  9. बहुत ही सुंदर कविता।
    हार्दिक बधाई आदरणीया शशि पाधा दीदी को

    सादर

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  10. जीवन दर्शन का विश्लेषण करती बहुत सुंदर रचना। हार्दिक बधाई शशि जी। सुदर्शन रत्नाकर

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  11. मेरी रचना को आप सब का स्नेह मिला , सहज साहित्य में स्थान मिला , आप सब का बहुत बहुत धन्यवाद
    शशि पाधा

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  12. अहा ! सुंदर !
    जीवन दर्शन को बयाँ करती गहरी पंक्तियाँ
    बधाई आदरणीया

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  13. कितनी सुंदर आपकी रचना |पढकर मन को एक शांति मिली | हृदय स्पर्शी और बार -बार पढनेवाली ! बधाई ! श्याम हिन्दी चेतना
    \

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  14. बहुत सुन्दर. जीवन के सत्य का दर्शन. बहुत बधाई शशि जी.

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