पथ के साथी

Tuesday, March 21, 2023

1304-किसका मलाल है

 शशि पाधा

 चुप्पी क्यों साधी, किसका मलाल है

लगता है उनका, हाल बेहाल है।

 हमने तो कह दी, बात मन प्रीत की

अनमन से बोले, अच्छा ख़याल है।

 रहे अजनबी ही, कई बार मिलकर 

रिश्तों के मन में, कुछ तो सवाल है।

 बगिया से पूछो, रंगों का घुलना

बिन होली किसने, छिटका गुलाल है।

 चलो उस शहर में, जहाँ प्यार बसता 

हर दिल में जलती, स्नेही मशाल है ।

 न रूठे मनाएँ, गिला हो न शिकवा

इस दिल ने छेड़ा, मधुर सुर-ताल है।

 कहीं टूटे छप्पर, कहीं तो महल हैं

उस रब की मरजी, उसका कमाल है।

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10 comments:

  1. बेहतरीन, हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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  2. बहुत ही सुंदर ,हृदय स्पर्शी भावों से परिपूर्ण पढके मन खुश हो गया |श्याम हिन्दी चेतना

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  3. बहुत सुंदर रचना बधाई आपको
    सादर
    सुरभि डागर

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  4. शशिजी बहुत सुंदर रचना है आपके द्वारा रचे शब्दों का कमाल है । पढ़कर मन में बाजे ढोल और ताल हैं। अति सुंदर भाव। सविता अग्रवाल “सवि”

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  5. बहुत सुंदर भावपूर्ण कविता। बधाई। सुदर्शन रत्नाकर

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  6. भावपूर्ण सुंदर अभिव्यक्ति।
    नव वर्ष एंव नवरात्रि पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं 🌷

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  7. बहुत सुंदर मनमोहक कविता!

    ~सादर
    अनिता ललित

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  8. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति...हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  9. आप सब स्नेही मित्रों का हार्दिक आभार ।
    शशि पाधा

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  10. रुपहली रचना . रंग में सराबोर हो नव संवत्सर. शुभकामना.

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